जीवनशैली

“एलर्जिक राइनाइटिस: लक्षण, कारण और बचाव – विशेषज्ञ की राय | सुबह उठते ही…”

सर्दियों या बदलते मौसम में सुबह-सुबह छींक और नाक बहना – एलर्जिक राइनाइटिस हो सकता है!

आपने देखा होगा कि कुछ लोगों को सुबह उठते ही बार‑बार छींक आने लगती है और नाक से पानी बहता है, जबकि सोते समय ऐसी कोई समस्या नहीं होती। आश्चर्य की बात यह है कि दोपहर या शाम तक सब सामान्य हो जाता है।

अक्सर लोग इसे मौसम में बदलाव या प्रदूषण का असर समझकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, लेकिन इसके पीछे एक गंभीर कारण हो सकता है – एलर्जिक राइनाइटिस। इसे आम भाषा में ‘हे फीवर’ कहा जाता है। इसमें व्यक्ति को सुबह उठते ही लगातार छींक, नाक बहना, नाक बंद होना, हल्का थकान महसूस होना या चिड़चिड़ापन जैसी समस्याएँ हो सकती हैं।

आज की इस जानकारी में हम जानेंगे:

✔ एलर्जिक राइनाइटिस क्या है?
✔ यह क्यों होता है?
✔ इसे रोकने के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

तज्ज्ञ: डॉ. राजकुमार, पल्मोनोलॉजिस्ट, इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर, नई दिल्ली


प्रश्न – एलर्जिक राइनाइटिस क्या है?

उत्तर – यह नाक से संबंधित एलर्जी की समस्या है। जब किसी व्यक्ति का नाक धूल, परागकण, धुआँ, पालतू जानवरों की रूसी या फफूँद जैसे एलर्जी तत्वों के संपर्क में आता है, तो नाक संवेदनशील हो जाती है। इससे नाक में जलन होती है और बार‑बार छींक आना, नाक बहना, नाक बंद होना, आँखों से पानी आना और कभी-कभी गले में खराश जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।


सुबह ज्यादा छींक क्यों आती है?

उत्तर – सुबह शरीर में हिस्टामिन नामक रसायन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे एलर्जी की प्रतिक्रिया तेज हो जाती है। रातभर खिड़की और दरवाजे खुले रहने से कमरे में धूल, परागकण और नमी जमा हो जाती है। सुबह उठते ही ये कण नाक के संपर्क में आते हैं और छींक शुरू हो जाती है। साथ ही, बिस्तर, तकिए और कमरे में जमा एलर्जी तत्व नाक और शरीर पर असर डालते हैं, जिससे लगातार छींक, नाक बहना या बंद होना, आँखों में खुजली और पानी आना जैसी समस्याएँ होने लगती हैं।


क्या एलर्जिक राइनाइटिस और सामान्य सर्दी एक ही हैं?

उत्तर – दोनों की लक्षण समान दिख सकते हैं, लेकिन वे अलग हैं। सर्दी और फ्लू वायरस से होते हैं और कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं। इनमें बुखार, गले में खराश और शरीर दर्द जैसी समस्याएँ भी होती हैं।

वहीं एलर्जिक राइनाइटिस वायरस से नहीं होता, बल्कि एलर्जी के संपर्क से होता है। जब तक एलर्जी तत्व आसपास रहते हैं, तब तक छींक, नाक बहना, आँखों में पानी आना या खुजली जैसी समस्याएँ बनी रहती हैं। इसका मतलब यह है कि यह समस्या लंबे समय तक परेशान कर सकती है।


किन लोगों को एलर्जिक राइनाइटिस का ज्यादा खतरा होता है?

उत्तर – किसी को भी एलर्जिक राइनाइटिस हो सकता है, पर कुछ लोगों को ज्यादा खतरा होता है, जैसे:

✔ जिनके परिवार में पहले से एलर्जी की समस्या है।
✔ जो प्रदूषण, धूल या परागकण के संपर्क में अधिक रहते हैं।
✔ जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है या जो तनाव में रहते हैं।
✔ जिन्हें दमा या सांस की समस्याएँ हैं।
✔ जो ऐसे काम करते हैं जहाँ धूल, जानवर या रसायनों का ज्यादा संपर्क होता है।
✔ जिनके घर में धूल जमा रहती है या हवा का सही संचार नहीं होता।
✔ जो परफ्यूम, धुएँ या रसायनों का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।


इसे रोकने के लिए कौन‑कौन सी सावधानियाँ बरतें?

उत्तर – एलर्जिक राइनाइटिस से बचाव के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव ज़रूरी हैं:

✔ एलर्जी-प्रूफ बेडिंग का इस्तेमाल करें।
✔ कमरे की हवा साफ और नमी से मुक्त रखें।
✔ सोने से पहले स्नान करें।
✔ पालतू जानवरों को बेडरूम से दूर रखें।
✔ डॉक्टर की सलाह पर समय पर एंटीहिस्टामिन लें।
✔ सप्ताह में एक बार बिस्तर गर्म पानी से धोएँ।
✔ खिड़कियाँ बंद रखें ताकि धूल और परागकण अंदर न आएँ।

इन उपायों से सुबह की एलर्जी पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।


अगर किसी को एलर्जिक राइनाइटिस है तो क्या करें?

उत्तर – डॉ. राजकुमार कहते हैं कि सबसे पहले यह पहचानें कि आपको किस चीज़ से एलर्जी है। जब कारण स्पष्ट हो जाएगा, तो रोकथाम और इलाज आसान हो जाएगा।

उदाहरण: यदि आपको धूल से एलर्जी है तो घर की सफाई का ध्यान रखें और बाहर जाते समय मास्क पहनें। लक्षण बने रहने पर डॉक्टर की सलाह से एंटीहिस्टामिन या नाक का स्प्रे इस्तेमाल करें।


अगर इस समस्या की उपेक्षा की जाए तो क्या नुकसान हो सकते हैं?

उत्तर – डॉ. राजकुमार बताते हैं कि यदि समय पर इलाज न किया जाए तो यह समस्या और गंभीर हो सकती है। लगातार नाक बंद रहने और नाक बहने से साइनस संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। कुछ मामलों में यह दमा या अन्य श्वसन रोगों को भी बढ़ा सकता है, खासकर उन लोगों में जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है।


क्या एलर्जिक राइनाइटिस का पूरी तरह इलाज संभव है?

उत्तर – एलर्जिक राइनाइटिस का स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन उचित देखभाल और इलाज से इसे काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। डॉक्टर की सलाह पर निम्न उपचार अपनाए जा सकते हैं:

एंटीहिस्टामिन दवाएँ – छींक, नाक बहने और खुजली जैसे लक्षणों को कम करती हैं।
नाक स्प्रे (स्टेरॉइड्स) – नाक की सूजन और बंद होने की समस्या को कम करते हैं।
सलाइन वॉश – नाक को साफ करता है और धूल व एलर्जी तत्व हटाता है।
इम्यूनोथेरपी (एलर्जी शॉट्स/ड्रॉप्स) – लंबे समय तक चलने वाला उपचार, जिससे शरीर धीरे‑धीरे एलर्जी के प्रति कम संवेदनशील होता है।


निष्कर्ष

एलर्जिक राइनाइटिस आम समस्या है, लेकिन इसकी अनदेखी गंभीर परिणाम दे सकती है। समय पर पहचान, सावधानी और सही इलाज से इसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। यदि सुबह उठते ही बार‑बार छींक आने लगे, नाक बहने लगे या आँखों में जलन हो, तो इसे सामान्य सर्दी समझकर नज़रअंदाज़ न करें – डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें।

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