जीवनशैली

“त्योहार, ग्रह और पंचांग का संबंध: धनत्रयोदशी, भाइबीज और नक्षत्र ऊर्जा।”

दिवाली केवल दीप जलाने और उत्सव मनाने का पर्व नहीं है। शास्त्रों और पंचांग के अनुसार इस पाँच दिवसीय पर्व में विशिष्ट नक्षत्र और उनसे संबंधित ग्रहों की ऊर्जा सक्रिय होती है। यदि हम इस ऊर्जा को छोटे-छोटे उपायों द्वारा जागृत करें, तो यह पर्व केवल आनंद का स्रोत ही नहीं बनता, बल्कि वर्षभर संबंधों में स्वास्थ्य, संपत्ति, स्थिरता और शांति का आधार भी बन सकता है।

(ज्योतिषाचार्य पंडित शिवनारायण उपाध्याय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार)

ज्योतिष और शास्त्र बताते हैं कि ये पाँच दिन केवल उत्सव नहीं हैं, बल्कि ग्रहों की ऊर्जा को जागृत करने के विशेष अवसर हैं। पंचांगानुसार आवश्यक उपाय करें।


धनत्रयोदशी: गुरू और शुक्र से संबंधित – धन और समृद्धि देने वाला

धन और स्वास्थ्य का दिन: यह दिन मुख्य रूप से गुरू (आरोग्य और दीर्घायु के कारक) और शुक्र (धन और समृद्धि के कारक) से संबंधित है।
काय करें: पीतल, चांदी और सोने जैसी धातुएँ खरीदें। हल्दी और पीली वस्तुएँ दान करें। दीपक जलाने से गुरू की ऊर्जा बढ़ती है। लक्ष्मी पूजा और धातु खरीदने से शुक्र ग्रह सक्रिय होता है।
नक्षत्र: उत्तरा फाल्गुनी (स्वामी – सूर्य)
ठोस उपाय: 108 बार “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः” मंत्र का जप करें।
अन्य उपाय: संध्या समय दीपदान करें।
फायदे: संपत्ति, स्वास्थ्य, सुरक्षा और समृद्धि में वृद्धि होती है।


नरक चतुर्दशी: मंगल और केतु का संतुलन – रोग नाशक

नकारात्मकता का नाश और साहस बढ़ाना: कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी नरकासुर वध का दिन माना जाता है। यह पर्व मंगल (शौर्य और पराक्रम) और केतु (नकारात्मकता का नाश) से संबंधित है।
काय करें: सूर्योदय से पहले उठकर तेल से अभ्यंग स्नान करें। हनुमान और कालिका की पूजा से मंगल और केतु की कृपा मिलती है।
नक्षत्र: हस्त (शासक – चंद्र)
ठोस उपाय: 21 बार “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” मंत्र का जप करें।
अन्य उपाय: घर के चारों कोनों में तिल के तेल के दीपक जलाने से शनि और केतु संतुलित होते हैं।
फायदे: भय नाश, रोग नाश और आत्मविश्वास बढ़ता है।


दीपावली (अमावस्या): शुक्र और चंद्र का संयोग – घर में शांति

धन और शांति का आमंत्रण: यह दिन मुख्य रूप से शुक्र (संपत्ति और सौंदर्य) और चंद्र (मन और भावनाएँ) से संबंधित है।
काय करें: तिल का तेल और घी के दीपक जलाएँ। महालक्ष्मी और गणेश की पूजा करें। शंखनाद और स्तोत्र पाठ से चंद्र और शुक्र की शक्ति बढ़ती है।
नक्षत्र: चित्रा (स्वामी – मंगल)
ठोस उपाय: 108 बार “ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः” और “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्राय नमः” मंत्र का जप करें।
अन्य उपाय: घर के पूर्वी भाग को विशेष रूप से सजाएँ।
फायदे: घर और परिवार में सुख, समृद्धि, मानसिक शांति और संपत्ति का प्रवेश होता है।


गोवर्धन पूजा: गुरू और शनि का सहयोग – कार्य में सफलता

प्रकृति, धर्म और स्थिरता का उत्सव: यह पर्व गुरू (धर्म और ज्ञान) और शनि (स्थिरता और परिश्रम) से संबंधित है।
काय करें: गायों की सेवा करें, अन्नदान करें और मिट्टी या पर्वत की पूजा करें।
नक्षत्र: स्वाती (स्वामी – राहु)
ठोस उपाय: अन्नकूट बनाएँ। मिट्टी से गोवर्धन पर्वत बनाएँ और उसकी पूजा करें। 108 बार “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः” मंत्र का जप करें।
अन्य उपाय: 7, 11 या 56 प्रकार के व्यंजन नैवेद्य में अर्पित करें। जरूरतमंदों को भोजन दें।
फायदे: जीवन में स्थिरता, धार्मिक शक्ति और कार्य में सफलता सुनिश्चित होती है।


भाई दूज (द्वितीया): चंद्र और बुध – नाते मजबूत

भाई-बहन के स्नेह का दिन: यह दिन चंद्र (प्रेमभावना) और बुध (संवाद और बुद्धिमत्ता) से संबंधित है।
काय करें: भाई-बहन एक-दूसरे को तिलक लगाएँ, साथ में भोजन करें और उपहारों का आदान-प्रदान करें। चंद्र को जल अर्पित करें। हरी फलों और वस्त्रों का दान करें।
नक्षत्र: विशाखा (स्वामी – गुरू)
ठोस उपाय: 108 बार “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” मंत्र का जप करें।
अन्य उपाय: भाई-बहन शिक्षा और स्वास्थ्य से संबंधित उपहार दें। बहनें चंद्र की प्रार्थना करें।
फायदे: संबंधों में प्रेम बढ़ता है, संवाद में मिठास आती है।

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