भारत में वजन घटाने के लिए दवाओं को सर्जरी के बजाय प्राथमिकता: फायदे और नुकसान – A से Z जानकारी

भारत में वजन कम करने का रुझान
तेज़ भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी, बदलती खाने-पीने की आदतें और आधुनिक जीवनशैली के कारण भारत में मोटापे की समस्या बढ़ती जा रही है। इसी वजह से भारत में वेट लॉस (वजन कम करने) का ट्रेंड तेजी से देखा जा रहा है। झीरो फ़िगर पाने की चाह में लोग इस ट्रेंड में शामिल हो रहे हैं।
हालांकि, भारत में मोटापे को कम करने के लिए दवाओं का उपयोग भी बढ़ता जा रहा है। लोग अब शल्यक्रिया की बजाय दवाओं के माध्यम से वजन नियंत्रित करने का विकल्प चुन रहे हैं। लेकिन इन दवाओं की लागत और संभावित दुष्प्रभावों के कारण कई लोग उपचार अधूरा छोड़ देते हैं। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
बढ़ते मोटापे के लिए दवाओं का ट्रेंड
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में लगभग 23% लोग मोटापे से जूझ रहे हैं। इसमें महिलाओं का प्रतिशत 24% और पुरुषों का 22.9% है। पिछले दो दशकों में मोटापे पर शल्यक्रियाओं में वृद्धि हुई है, लेकिन अब दवाओं के माध्यम से वजन कम करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। खासकर 30 वर्ष से कम आयु के युवा इस रुझान में अधिक शामिल दिखाई दे रहे हैं।
दवाओं का खर्च
वजन कम करने वाली दवाओं का मासिक खर्च लगभग 12,000 से 15,000 रुपये तक आता है, जो आम नागरिकों के लिए अधिक है। वहीं, बैरियाट्रिक शल्यक्रिया में 3 से 5 लाख रुपये खर्च आते हैं। इसलिए कई लोग शल्यक्रिया की बजाय दवाओं को प्राथमिकता देते हैं।
दुष्प्रभाव
इन दवाओं के उपयोग से मिचली, उल्टी, दस्त, पेट दर्द और गैस जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कुछ मामलों में आंखों की जांच की आवश्यकता भी पड़ती है। इसलिए डॉक्टर नियमित चिकित्सा निगरानी की सलाह देते हैं।
उपचार अधूरा छोड़ने की समस्या
डेनमार्क और वियना के अध्ययनों के अनुसार, इन दवाओं का उपयोग करने वाले लगभग 50% मरीज एक साल के भीतर उपचार छोड़ देते हैं। इसका मुख्य कारण महंगा खर्च और दुष्प्रभाव हैं। वहीं, इसके कारण मरीज के शरीर पर भी असर पड़ता है।
वजन कैसे कम करें?
दवाओं और शल्यक्रिया के बढ़ते उपयोग के बावजूद वजन कम करने का सबसे सुरक्षित तरीका संतुलित आहार और नियमित व्यायाम है। डॉक्टरों की सलाह और नियमित मेडिकल चेकअप से वजन घटाने की प्रक्रिया अधिक सफल हो सकती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)
प्रश्न: भारत में वजन कम करने के लिए दवाओं का उपयोग क्यों बढ़ रहा है?
उत्तर: भारत में लगभग 23% लोग मोटापे से जूझ रहे हैं। खासकर 30 वर्ष से कम उम्र के युवाओं में दवाओं के माध्यम से वजन कम करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। बैरियाट्रिक शल्यक्रिया का खर्च (3–5 लाख रुपये) अधिक होने के कारण लोग अपेक्षाकृत सस्ती दवाओं का विकल्प चुनते हैं।
प्रश्न: वजन कम करने वाली दवाओं के दुष्प्रभाव क्या हैं?
उत्तर: इन दवाओं के उपयोग से मिचली, उल्टी, दस्त, पेट दर्द और गैस जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कभी-कभी आंखों की जांच भी आवश्यक हो जाती है। इसलिए नियमित मेडिकल निगरानी जरूरी है।
प्रश्न: दवाओं का खर्च और उपचार छोड़ने का कारण क्या है?
उत्तर: इन दवाओं का मासिक खर्च 12,000–15,000 रुपये है, जो आम नागरिकों के लिए मुश्किल है। अध्ययनों के अनुसार, 50% मरीज खर्च और दुष्प्रभावों के कारण एक साल के भीतर उपचार छोड़ देते हैं। संतुलित आहार, व्यायाम और डॉक्टर की सलाह से उपचार सफल होने की संभावना बढ़ती है।