एक टिकट के लिए रात भर खड़े रहे, मन में ठान लिया और 85 साल के भाई ने लालपरी की सेवा की।

मुंबई, 26 जुलाई : लगातार दौड़ता हुआ शहर, ऐसे मुंबई को दुनिया जानती है। रोज़मर्रा की भागदौड़ और जीविकोपार्जन के संघर्ष में मुंबईवासी अपना अधिकांश समय व्यतीत करते हैं। इस कारण वे अन्य चीज़ें करने की इच्छा खो बैठते हैं, ऐसी शिकायत कई लोग करते हैं।
कुछ लोग निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद के लिए आगे आते हैं। मुरारी पांचाल उर्फ भाऊ, 85 साल के बुजुर्ग, ऐसे ही दुर्लभ व्यक्तियों में से एक हैं। सेवा भाऊ पिछले 30 सालों से दादर में रहते हैं। एक मिल में फिट्टर के रूप में 35 साल काम करने के बाद उन्होंने 1993 में स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति लेने का निर्णय लिया। सेवानिवृत्ति के बाद घर पर शांत बैठना उन्हें मंज़ूर नहीं था। कभी-कभी उन्हें गाँव जाने के लिए बस का टिकट लेना पड़ता था। उस समय मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर उन्हें पूरी रात खड़े रहना पड़ता। इस घटना ने उनका जीवन बदल दिया। उन्होंने एसटी यात्रियों को मार्गदर्शन देने का निर्णय लिया। पिछले 30 वर्षों से वे इस कार्य को कर रहे हैं।
सुबह साढ़े छह से दस और शाम पांच से सात बजे के बीच वे एसटी स्टैंड पर जाकर यात्रियों को मार्गदर्शन देते हैं। छोटे बच्चों के साथ युवा जोड़े से लेकर वरिष्ठ नागरिक तक, सभी आयु वर्ग के यात्रियों के सभी सवाल भाऊ दूर करते हैं। अकेले यात्रा करने वालों को बस में बैठाने का काम भी वे करते हैं। दादर स्टेशन से पुणे, सातारा और अन्य जगहों के लिए बसें चलती हैं। एशियाड के स्टॉप पर रुकने वाली कई बसें हैं। इस स्टॉप पर यात्रियों की संख्या अधिक होती है, लेकिन बैठने की सुविधा नहीं है। प्रशासन को यह सुविधा तत्काल उपलब्ध करानी चाहिए, ऐसी अपेक्षा उन्होंने व्यक्त की है।
सेवानिवृत्ति के बाद भी यात्रियों की सेवा करने वाले मुरारी पांचाल उर्फ भाऊ की सभी स्तरों पर सराहना हो रही है। एसटी कर्मचारियों से लेकर आम नागरिक तक अब भाऊ को पहचानने लगे हैं। यात्रियों ने कहा कि उनके कारण हमारी यात्रा सुखद होती है।