जन्मदिन था उद्धव ठाकरे का, लेकिन झड़प अनिल परब और नीलम गोरे के बीच ही हुई

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मुंबई, 27 जुलाई – मानसून सत्र शुरू होने से पहले शिवसेना की नेता नीलम गोरे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ जुड़ गईं। इसके बाद विधान परिषद में उपसभापति नीलम गोरे और ठाकरे गुट के विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिल रही है। आज ठाकरे गुट के विधायक अनिल परब और उपसभापति नीलम गोरे के बीच “तु-तू, मैं-मैं” जैसी स्थिति बन गई।
विवाद का कारण – उद्धव ठाकरे का जन्मदिन
ठाकरे गुट के विधायक अनिल परब ने कहा कि पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे का जन्मदिन है, इसलिए उन्हें जल्दी जाना है, इसके लिए उन्होंने अनुमति मांगी थी।
प्रविण दरेकर ने जवाब दिया – “ऐसा कैसे चलेगा? अगर जाना है तो जाइए।”
अनिल परब ने कहा – “अगर सत्ताधारी दल की यही सोच है तो फिर हमसे किसी भी सहयोग की अपेक्षा न करें।”
इस दौरान सत्ताधारी पक्ष के कुछ विधायक नीचे बैठकर बोले – “हमें आपके सहयोग की जरूरत नहीं है।”
अनिल परब ने कहा – “हमें विधेयकों पर चर्चा करनी है और अगर उन्हें मंजूरी नहीं मिली तो इसकी जिम्मेदारी हमारी नहीं होगी।”
नीलम गोरे ने जवाब दिया – “मंत्री सावें का विधेयक महत्वपूर्ण है। इस पर अहंकार या प्रतिष्ठा का सवाल नहीं उठाना चाहिए। जिन्हें जाना है वे जा सकते हैं। देर से गए तो भी कोई दिक्कत नहीं है। यह सवाल सार्वजनिक चर्चा का विषय न बनाइए।”
अनिल परब ने कहा – “तो फिर स्पष्ट कर दीजिए कि हमारी विनती स्वीकार नहीं की जाएगी।”
नीलम गोरे ने पलटकर कहा – “अनिल परब, आपने खाना खा लिया न? क्या जन्मदिन के दिन ऐसा व्यवहार शोभा देता है? जन्मदिन मनाना जरूरी है, लेकिन जिसके लिए आप यहाँ आए हैं, उसे मत भूलिए। यहाँ 36 नंबर का विधेयक था, लेकिन अब यहाँ सिर्फ 36 का आंकड़ा रह गया है।”
नीलम गोरे की उपसभापति पद पर बने रहने पर आपत्ति
विधान परिषद में विपक्षी दलों ने नीलम गोरे के उपसभापति पद पर बने रहने पर आपत्ति जताई। कुछ दिनों पहले उन्होंने शिंदे गुट में शामिल होकर पार्टी बदली थी, इसलिए उन पर अयोग्यता की याचिका भी दाखिल की गई है। विपक्ष ने यह मुद्दा उठाया, लेकिन नीलम गोरे ने कहा कि इस पर बाद में चर्चा की जाएगी और तत्काल अनुमति नहीं दी।
देवेंद्र फडणवीस ने भी कहा – “इस तरह से सभागृह को बंधक नहीं बनाया जा सकता,” और विपक्ष को जवाब दिया।
यह पूरा घटनाक्रम महाराष्ट्र की राजनीति में बढ़ते तनाव, दल बदल और विधान परिषद में सत्ता पक्ष-विपक्ष के बीच टकराव को दर्शाता है।