100 कुत्तों का प्रशिक्षण और एक लव स्टोरी; चार साल में बना ‘यह’ फिल्म।

तिरुवनंतपुरम, 27 जुलाई:
किसी फिल्म में जानवरों का उपयोग करना कोई नई बात नहीं है। हमने ‘हम आपके हैं कौन’ जैसी फिल्मों में भी देखा है कि जानवरों की भूमिकाएँ लोकप्रिय हुईं। लेकिन अगर फिल्म में एक-दो जानवर हों तो ठीक है, मगर दर्जनों जानवर मुख्य भूमिकाओं में हों तो निर्माताओं को कितनी बड़ी चुनौती झेलनी पड़ती होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। इसी बीच ‘वलाट्टी: अ टेल ऑफ टेल्स’ फिल्म की निर्माण प्रक्रिया कल्पना से परे है। यह फिल्म निर्देशक देवन् की पहली फिल्म है और इसमें लगभग 100 जानवरों का उपयोग किया गया है। ‘वलाट्टी: टेल ऑफ टेल्स’ का अर्थ है – ‘पूँछ हिलाने वालों की कहानी’। 21 जुलाई को रिलीज हुई इस फिल्म को केरल में बेहतरीन प्रतिक्रिया मिल रही है।
फिल्म में एक नर गोल्डन रिट्रिवर और एक मादा कॉकर स्पैनियल कुत्ते की लव स्टोरी दिखाई गई है, जो पास-पास रहते हैं। ‘द लायन किंग’ की तरह इस फिल्म में लोकप्रिय कलाकारों ने जानवरों और पक्षियों को आवाज़ दी है, लेकिन इसमें असली जानवरों का उपयोग किया गया है। इसके लिए कुत्तों को पूरे एक साल तक प्रशिक्षण दिया गया। कोरोना काल में शुरू हुई इस फिल्म की शूटिंग लगभग 100 दिनों में पूरी हुई।
हर फ्रेम में कई जानवरों का होना बड़ी चुनौती
निर्देशक देवन् ने ‘न्यूज़18’ को बताया कि एक साथ कई जानवरों को एक ही फ्रेम में रखना सबसे कठिन हिस्सा था। अगर सभी को एक जैसा प्रशिक्षण दिया जाता तो उनके हावभाव एक जैसे होते। इसलिए हर जानवर को अलग-अलग तरीके से प्रशिक्षित किया गया ताकि उनकी भूमिकाओं में कोई भ्रम न हो। शबीर, जिजेश, शालिन और विक्टर मुख्य प्रशिक्षक थे। पिल्लों को प्रशिक्षित करना कुत्तों से भी कठिन था। कुछ पिल्ले तो सिर्फ 40 दिन के थे। उन्हें शूटिंग सेट के उपकरणों से परिचित कराने के लिए मूवी कैमरा और लाइटिंग जैसी खिलौनों से अभ्यास कराया गया।
विभिन्न नस्लों के कुत्तों ने निभाई भूमिका
मुख्य जोड़ी के अलावा रॉटविलर, लैब्राडोर रिट्रिवर, अफगान हाउंड, डॉबरमैन जैसी नस्लों के साथ कुछ स्थानीय कुत्ते भी थे। हर बार उनका मूड बेहद महत्वपूर्ण होता था। शूटिंग की पूरी प्रक्रिया एनिमल वेल्फेयर बोर्ड के अधिकारियों की देखरेख में चली। कुत्तों के लिए वातानुकूलित कैरवाँ का उपयोग किया गया और उन्हें ज़रूरत पड़ने पर उनके केबिन में ले जाया गया। एक ही फ्रेम में लगभग 100 कुत्तों को भौंकते हुए दिखाने वाले क्लाइमेक्स को फिल्माने में करीब 10 दिन लगे।
बजट और समर्थन
पिछले दशक में कई मल्यालम निर्देशकों को पहचान दिलाने वाले निर्माता विजय बाबू ने देवन् को समर्थन दिया। स्क्रिप्ट में ज्यादा मानव कलाकार न होने की वजह से फिल्म कम बजट में शुरू हुई थी। लेकिन जब निर्माताओं ने शूट किया गया हिस्सा देखा तो बजट बढ़ा दिया गया। फिल्म की हिंदी, तेलुगू, तमिल और कन्नड़ संस्करण जल्द ही रिलीज़ होंगे।
चार साल का सफर
विजय बाबू ने कहा – “इस प्रोजेक्ट को लगभग चार साल लगे, क्योंकि जानवरों का प्रशिक्षण करीब तीन साल चला। इतना बड़ा प्री-प्रोडक्शन शेड्यूल किसी और फिल्म में शायद ही देखा गया हो।” उन्होंने इस फिल्म में रोहिणी, श्रीकांत मुरली, देव मोहन, महिमा नंबियार और अक्षय राधाकृष्णन के साथ स्क्रीन स्पेस साझा किया।