नेपाल में राजनीतिक संकट; Gen-Z आंदोलन बनाम कांग्रेस, CPN-UML और माओवादी केंद्र

नेपाल की राजनीति फिर से उथल-पुथल में है। अंतरिम प्रधानमंत्री सुशीला कार्की की नियुक्ति और संसद के भंग होने के बाद राजनीतिक दलों के भीतर असंतोष बढ़ गया है।
नेताओं पर इस्तीफे का दबाव:
नेपाली कांग्रेस, CPN-UML और माओवादी केंद्र समेत 8 प्रमुख दलों ने संसद भंग को असंवैधानिक बताया है। पार्टी के भीतर युवा नेता अब वरिष्ठ नेताओं से पद छोड़ने की मांग कर रहे हैं। नेपाली कांग्रेस में गगन थापा और बिश्व प्रकाश शर्मा, UML में शंकर पौडेल और योगेश भट्टराई, तथा माओवादी केंद्र में जनार्दन शर्मा शीर्ष नेताओं से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, नेता सीधे पीएम कार्की को निशाना नहीं बना रहे हैं, लेकिन जनता और कार्यकर्ताओं के दबाव में उन्हें अपनी ही पार्टी में जवाब देना पड़ रहा है।
कार्की मंत्रिमंडल के लिए नाम फाइनल:
अंतरिम पीएम सुशीला कार्की के कैबिनेट में मंत्री सोशल मीडिया पोलिंग के जरिए चुने जाएंगे। सूत्रों के अनुसार, तीन नाम फाइनल हो गए हैं:
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रमेशोर खनाल – वित्त मंत्री
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ओम प्रकाश आर्यल – गृह मंत्री
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कुलमान घीसिंग – ऊर्जा एवं सिंचाई मंत्री (साथ में भौतिक अवसंरचना, परिवहन और शहरी विकास मंत्रालय भी)
ये तीनों नेता सोमवार को शपथ ले सकते हैं। बाकी मंत्रियों के नाम बाद में घोषित होंगे।
नेपाल की पहली महिला अटॉर्नी जनरल:
सीनियर एडवोकेट सविता भंडारी बराल को प्रधानमंत्री कार्की की सिफारिश पर राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने अटॉर्नी जनरल नियुक्त किया। इससे पहले अटॉर्नी जनरल रमेश बदाल का इस्तीफा मंजूर किया गया था।
PM कार्की के बयान:
सुशीला कार्की ने कहा कि Gen-Z आंदोलन में मारे गए लोगों को शहीद घोषित किया जाएगा और उनके परिजनों को 10-10 लाख नेपाली रुपए का मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने भ्रष्टाचार खत्म करने का संकल्प भी लिया। कार्की ने बताया कि नेपाल में पहली बार 27 घंटे लगातार आंदोलन हुआ। 5 मार्च 2026 को आम चुनाव कराने की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है।
Gen-Z नेताओं का रुख:
Gen-Z नेताओं ने सरकार में शामिल होने से इंकार किया है, लेकिन कहा कि वे सरकार के कामकाज की निगरानी करेंगे।
हालात सामान्य हो रहे हैं:
6 दिनों की हिंसा के बाद काठमांडू में कई इलाकों से कर्फ्यू हटाया गया है और सार्वजनिक परिवहन फिर से शुरू हो गया है। भारत-नेपाल सीमा पर आवाजाही भी शुरू हो गई है। हालांकि, काठमांडू के 6 जगहों पर अब भी कर्फ्यू जारी है और 5 से अधिक लोगों के इकट्ठा होने, धरना, जुलूस, भूख हड़ताल और सभाओं पर रोक है। यह आदेश अगले दो महीने तक लागू रहेगा।