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मोहन भागवत, मोहन यादव, प्रल्हाद पटेल की पुस्तक “कृपा सार” | परिक्रमा पर जोर, भागवत बोले – स्वार्थ और अहंकार से संघर्ष पैदा होता

मोहन भागवत बोले – भारत विकास के रास्ते पर, विभाजन नहीं होगा; नर्मदा परिक्रमा और श्रद्धा की बात पर ज़ोर

इंदौर, रविवार: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने इंदौर में कहा कि भारत विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है और सभी भविष्यवाणियों को गलत साबित कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह देश ज्ञान, कर्म और भक्ति की पारंपरिक दर्शन पर आधारित श्रद्धा से प्रेरित है। भागवत ने कहा कि भारत एक बार विभाजित हुआ था, लेकिन अब फिर से एकजुट होगा।

यह बयान उन्होंने नर्मदा खंड सेवा संस्थान के कार्यक्रम में दिया, जहाँ उन्होंने मंत्री प्रल्हाद पटेल द्वारा लिखित पुस्तक “कृपा सार” का विमोचन किया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और भाजपा संगठन महासचिव हितानंद शर्मा सहित कई नेता मौजूद थे।

नर्मदा परिक्रमा श्रद्धा का प्रतीक

भागवत ने कहा कि नर्मदा परिक्रमा श्रद्धा का बड़ा विषय है। भारत कर्मवीरों और तारकवीरों की भूमि है। भागवत ने कहा कि संघ ने उन्हें नेतृत्व की कुर्सी दी है, इसलिए लोग उन्हें बुलाते हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया में संघर्ष का मूल कारण अहंकार और स्वार्थ है। प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वह आगे बढ़े, दूसरों का नुकसान कर आगे जाए, यही लड़ाई की जड़ है।

एकजुट भारत का संदेश

भागवत ने ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि भारत स्वतंत्रता के बाद टिक नहीं पाएगा, विभाजित हो जाएगा। परंतु भारत ने एकजुट होकर उन्हें गलत साबित किया। आज इंग्लैंड खुद विभाजन के दौर से गुजर रहा है, लेकिन भारत विभाजित नहीं होगा। हम आगे बढ़ते रहेंगे।

निसर्ग से जुड़ाव पर ज़ोर

भागवत ने कहा कि भारत नदियों, पेड़ों और गायों की पूजा करता है। यह श्रद्धा अनुभव और संबंध पर आधारित है। दुनिया आज निसर्ग से जुड़ाव के लिए तरस रही है। पहले सिर्फ सिलाई करने वाले चोरी करते थे, अब पूरी दुनिया यही कर रही है। श्रद्धा और भक्ति के बिना लोग त्रास सहते हुए भी रास्ता नहीं बदलते।

प्रल्हाद पटेल – नर्मदा “बेचना” नहीं चाहते

मंत्री प्रल्हाद पटेल ने कहा कि उन्होंने शुरुआत में पुस्तक प्रकाशित करने से मना कर दिया था, क्योंकि उनका उद्देश्य नर्मदा को बेचना नहीं था। नर्मदा हमारी माँ है और नदियाँ हमारी विरासत। इस पुस्तक से होने वाली राशि गोसेवा और परिक्रमा करने वालों के लिए उपयोग होगी।

परिक्रमा – जीवन का अनुभव

स्वामी ईश्वरानंद ने कहा कि नर्मदा परिक्रमा पाँच तत्वों – जल, वायु, अग्नि, आकाश और रक्त – का दिव्य अनुभव देती है। यह यात्रा जीवन और निसर्ग से आध्यात्मिक जुड़ाव का प्रतीक है। उन्होंने यह भी कहा कि राजनीति में आने के लिए भी परिक्रमा करनी पड़ती है।

कार्यक्रम में कई नेता उपस्थित

इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल, संगठन महासचिव हितानंद शर्मा, उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला, मंत्री विश्वास सारंग, कैलाश विजयवर्गीय, महापौर पुष्यमित्र भार्गव सहित कई जनप्रतिनिधि और शहीद परिवार उपस्थित थे।

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