मासिक धर्म के दौरान कार्यस्थल से एक दिवस अवकाश:…

गुरुवार को कर्नाटक सरकार ने पीरियड लीव पॉलिसी 2025 को मंजूरी दे दी। इस नीति के तहत सरकारी कार्यालयों, निजी कंपनियों और औद्योगिक क्षेत्रों में कार्यरत महिलाओं को प्रति माह एक दिन मासिक धर्म की छुट्टी या वर्ष में कुल 12 दिन की छुट्टी मिलेगी।
मुख्यमंत्री सिद्धरामैया की मंत्रिमंडल बैठक में इस नीति पर चर्चा की गई। यह कार्य पिछले एक वर्ष से चल रहा था।
कर्नाटक के श्रम मंत्री संतोष लाड ने कहा, “विभाग पिछले एक वर्ष से इस पर काम कर रहा है। कई लोगों ने इस पर आपत्ति जताई है। हमने विभिन्न विभागों से भी चर्चा की है।”
उन्होंने आगे कहा, “महिलाएँ विशेष रूप से उन महिलाएँ जो प्रतिदिन 10-12 घंटे काम करती हैं, अत्यधिक तनाव में रहती हैं। इसलिए हमने थोड़ा प्रगतिशील सोच अपनाई और उन्हें एक दिन की छुट्टी देने का निर्णय लिया। अब उन्हें प्रति माह एक दिन छुट्टी लेने की सुविधा प्राप्त होगी। हमें आशा है कि इसका दुरुपयोग नहीं होगा। आवश्यकता पड़ने पर भविष्य में हम और नियम भी जोड़ सकते हैं।”
छह करोड़ महिलाओं को मिलेगा लाभ
श्रम विभाग के अनुसार, राज्य में लगभग 60 लाख महिलाएँ कार्यरत हैं। इनमें से 25 से 30 लाख महिलाएँ कॉर्पोरेट क्षेत्र में कार्यरत हैं। इस नए नियम की जानकारी देने के लिए विभाग सभी नियोक्ताओं के साथ बैठकें करेगा।
नीति की मंजूरी से पहले 18 सदस्यीय समिति ने कुछ सिफारिशें की थीं, जिनमें मासिक धर्म के दौरान महिलाओं के शरीर में होने वाले परिवर्तन, उनकी कठिनाइयाँ और इस दौरान विश्राम की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।
इस समिति का नेतृत्व क्राइस्ट विश्वविद्यालय के कानून विभाग की प्रमुख सपना एस. ने किया। इसके बाद सरकार ने प्रस्ताव के लाभ और हानि का मूल्यांकन किया, विभिन्न विभागों और संगठनों से सुझाव मांगे और महिला-प्रधान उद्योगों जैसे कि कपड़ा उद्योग पर पड़ने वाले प्रभाव पर भी विचार किया।
बिहार और ओडिशा में पहले से लागू
इस नीति के साथ कर्नाटक उन कुछ राज्यों में शामिल हो गया है, जहाँ महिलाओं को मासिक धर्म की छुट्टी दी जाती है। बिहार में महिलाओं को प्रति माह दो बार मासिक धर्म की छुट्टी मिलती है। ओडिशा ने हाल ही में सरकारी विभागों में काम करने वाली महिलाओं के लिए मासिक धर्म की एक छुट्टी की घोषणा की है।