जीवनशैली

“समलैंगिक पति बनाम पत्नी; हिंदू विवाह अधिनियम तलाक | समलैंगिक | मेरा पति समलैंगिक है, लेकिन…”

प्रश्न: मैं 33 वर्ष की हूँ और झारखंड की रहने वाली हूँ। चार वर्ष पूर्व मेरी सिंगापुर में अरेंज्ड मैरिज हुई थी। वह लड़का मेरे पिता के मित्र का बेटा था। मेरे पिता ने केवल यह देखा कि उसकी अच्छी नौकरी है और वह एक समृद्ध परिवार से है, और इसी आधार पर उन्होंने विवाह तय किया। विवाह को चार महीने हुए थे, लेकिन मेरे पति ने मुझसे कोई शारीरिक संबंध नहीं बनाए। यह मुझे अजीब लगा, लेकिन किसी से कहने की हिम्मत नहीं हुई।

विवाह के छह महीने बाद मुझे पता चला कि मेरा पति समलैंगिक है और उसने अपने माता-पिता के दबाव में यह विवाह किया। उसके परिवार को भी उसकी लैंगिक पहचान के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। हमारा विवाह चार वर्षों से चल रहा है और हम भाई-बहन जैसे साथ रहते हैं। हमारा परिवार इतना रूढ़िवादी है कि मैं उनसे इस विषय में बात करने की हिम्मत नहीं करती। मेरे पति का कहना है कि अगर उनके परिवार को सच पता चला तो वह आत्महत्या कर लेंगे। उनके पिता उसके समलैंगिक होने को सहन नहीं कर पाएंगे। सबकी चिंता और सभी का सुख सुनिश्चित करने के कारण मेरा अपना सुख कम हो गया है। कृपया बताएं कि मुझे क्या करना चाहिए।


विशेषज्ञ सलाह – डॉ. द्रोण शर्मा, परामर्शदाता मनोचिकित्सक, आयरलैंड, यूके
(यूके, आयरलैंड और जिब्राल्टर मेडिकल काउंसिल के सदस्य)

आप एक अत्यंत दर्दनाक अनुभव से गुजर रही हैं। वैवाहिक संबंधों की शुरुआत विश्वास और आत्मसम्मान से होती है, लेकिन आपके मामले में इसके बजाय आपको दर्द, विश्वासघात और अकेलापन मिला है। यह पीड़ा केवल भावनात्मक या लैंगिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी जटिल है।

चार वर्षों बाद भी आपका विवाह शारीरिक रूप से संतुष्टिपूर्ण नहीं है। वैवाहिक और कानूनी दृष्टिकोण से यह मामूली बात नहीं है। इस नाते में परस्पर सहमति और निकटता का अभाव है, जो विवाह की नींव हैं।

कानूनी दृष्टिकोण:
हिंदू विवाह कानून के अनुसार, यदि शारीरिक निकटता नहीं है, तो विवाह को अवैध माना जा सकता है और इसे रद्द करवाया जा सकता है। आपके पास दो विकल्प हैं: आप न्यायालय के माध्यम से तलाक माँग सकती हैं या परस्पर सहमति से तलाक ले सकती हैं।

पति की लैंगिक पहचान:
आपके पति ने समलैंगिक होने के बावजूद विवाह किया। मानवता के दृष्टिकोण से उनका दर्द समझा जा सकता है। भारतीय समाज इस मामले में अभी भी रूढ़िवादी है। उनके सच को उजागर करने में डर और हिचक हो सकती है। यह सहानुभूति की दृष्टि से समझा जा सकता है, लेकिन उन्होंने जो किया वह अनुचित है। किसी से विवाह करना और उन्हें छिपाना, और फिर आत्महत्या की धमकी देना, किसी भी दृष्टिकोण से सही नहीं है। इस मामले में यदि कोई पीड़ित है, तो वह आप ही हैं।

सेक्सलेस विवाह का मानसिक प्रभाव:
जवळीक और लैंगिक संबंधों की कमी सामाजिक दृष्टि से सामान्य दिख सकती है, लेकिन इसका मानसिक प्रभाव गहरा होता है। यह भावनात्मक अवहेलना जैसी मानसिक चोट पैदा करता है, जिससे शर्म, डर और आत्मविश्वास में कमी हो सकती है। इस स्थिति में संज्ञानात्मक व्यवहारिक थेरपी और ट्रॉमा-केंद्रित थेरपी सहायक हो सकती हैं।

आत्महत्या की धमकी:
यदि आपके पति ने कहा है कि परिवार को सच पता चलने पर वह आत्महत्या कर लेंगे, तो यह गंभीर मानसिक स्वास्थ्य खतरे का संकेत है। हालांकि यह आपकी जिम्मेदारी नहीं है कि आप इसका बोझ उठाएँ।

महत्वपूर्ण बातें:

  • आत्महत्या की धमकी देने वाला व्यक्ति मानसिक रूप से अस्थिर हो सकता है।

  • उसे चिकित्सा और परामर्श की आवश्यकता है।

  • यह ब्लैकमेलिंग है और डरने की जरूरत नहीं है।

  • यह धमकी पालन करने का या चुप रहने का कारण नहीं है।

कानूनी मार्ग:
भारतीय कानून आपको विवाह छोड़ने की अनुमति देता है। आप अपने और पति के परिवार के साथ खुलकर बात कर सकती हैं और तलाक की प्रक्रिया शुरू कर सकती हैं। आप परस्पर सहमति से तलाक ले सकती हैं या न्यायालय से विवाह रद्द करवाने की याचिका दायर कर सकती हैं।

पति से बातचीत का तरीका:

  • स्वयं मानसिक और भावनात्मक रूप से तैयार हों।

  • शांत और एकांत जगह चुनें।

  • बातचीत में दोषारोपण न करें, केवल सत्य बताएं।

  • कहें:
    “मैं तुम्हारा दुख समझ सकती हूँ। मुझे पता है कि तुम दबाव में हो, लेकिन यह स्थिति मुझे दुखी कर रही है। मुझे प्रेम और खुशी का भी अधिकार है।”

  • अपने लिए स्पष्ट सीमाएं तय करें:
    “जहाँ निकटता नहीं है, वहां मैं नहीं रह सकती। मैं तुम्हारा सम्मान करती हूँ, पर मुझे अपने जीवन में आगे बढ़ना है।”

  • अलग होने का मार्ग खुला रखें:
    “हम परस्पर सहमति और सम्मान से अलग होना चाहिए, ताकि किसी का सम्मान बचे और सार्वजनिक विवाद न हो।”

  • उनकी भावनाओं और सुरक्षा का ध्यान रखें।

दोनों परिवार से बातचीत:

  • अपने माता-पिता से: सम्मानपूर्वक बात करें, अनुभव साझा करें, सच बताएं, भविष्य की योजना स्पष्ट करें।

  • पति के माता-पिता से: केवल पति की सहमति होने पर, सुरक्षित महसूस करने पर सच साझा करें, आरोप न लगाएँ, केवल अलग होने की बात कहें।

चार सप्ताह की स्वयं-सहायता योजना:

सप्ताह 1: ग्राउंडिंग और स्पष्टता

  • रोज डायरी लिखें।

  • याद दिलाएँ कि यह आपकी गलती नहीं है।

  • सहानुभूति रखें, लेकिन स्वयं के लिए भी।

  • श्वास लेने और नींद के तकनीक अपनाएँ।

  • 8 घंटे की नींद और स्वास्थ्य व आहार का ध्यान रखें।

सप्ताह 2: भावनात्मक अभिव्यक्ति

  • महिलाओं के सहायता समूह में शामिल हों।

  • थेरपी ग्रुप में जाएँ।

  • जरूरत पड़ने पर पेशेवर मदद लें।

सप्ताह 3: दृढ़ता से कहना सीखें

  • अपराधबोध महसूस न करें।

  • रोज़ याद दिलाएँ कि यह आपकी गलती नहीं है।

  • स्वयं की देखभाल प्राथमिकता है।

  • आरसे के सामने खड़े होकर कहें: “मुझे अपनी देखभाल करनी है।”

सप्ताह 4: व्यावहारिक योजना

  • सभी व्यक्तिगत दस्तावेज़ जमा करें।

  • महत्त्वपूर्ण कागजात सुरक्षित रखें।

  • प्रतिष्ठित वकील से संपर्क करें।

  • पति का घर छोड़कर नई जगह जाएँ।

  • शांतिपूर्ण और संयमित योजना बनाएं।

निष्कर्ष:
आपके विवाह की नींव ही दोषपूर्ण थी। यह रिश्ता झूठ और छल पर आधारित था। इसे समाप्त कर आप कोई गलती नहीं कर रही हैं। अपराधबोध महसूस न करें। आप इसे सम्मान और आदर से समाप्त करके अपने जीवन को आगे बढ़ाने का पूरा अधिकार रखती हैं। दूसरों के प्रति दयालुता आपकी मानवता है, लेकिन सबसे बड़ी जिम्मेदारी खुद की है।

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