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छत्तीसगढ़ के इन जिलों में तेज बारिश की संभावना, 5 जगहों पर रेड अलर्ट, जानें क्यों लौट आया बरसात का दौर

🌧️ छत्तीसगढ़ में फिर लौटा बरसात का दौर

पाँच जिलों में रेड अलर्ट घोषित, मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी — किसानों की बढ़ी चिंता, प्रशासन अलर्ट मोड पर

भूमिका

छत्तीसगढ़ में एक बार फिर वर्षा का दौर आरंभ हो गया है। सामान्यतः अक्टूबर के उत्तरार्ध तक राज्य में मानसून की विदाई मानी जाती है, किंतु इस बार प्रकृति ने अपने तेवर बदल दिए हैं। बंगाल की खाड़ी के ऊपर बने गहरे दबाव के परिणामस्वरूप यह दबाव धीरे-धीरे चक्रवाती तूफ़ान में परिवर्तित हो गया है, जिसके असर से प्रदेश के अनेक जिलों में तेज़ वर्षा का सिलसिला प्रारम्भ हो गया है। मौसम विभाग ने आगामी तीन से चार दिनों तक वर्षा की संभावना व्यक्त करते हुए कई जिलों में रेड अलर्ट घोषित किया है।

इस अनपेक्षित वर्षा से जहाँ वातावरण में हल्की ठंडक बढ़ी है, वहीं किसानों की चिंता भी गहराई है, क्योंकि धान की फसल इस समय कटाई के चरण में है। लगातार बारिश से फसलों के खराब होने की आशंका बढ़ गई है।


मौसम का बदलता मिज़ाज

राजधानी रायपुर सहित बस्तर, धमतरी, कांकेर, बीजापुर और कोरबा जिलों में सोमवार रात से ही बादल छाए हुए हैं। कई स्थानों पर रुक-रुक कर वर्षा हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार बंगाल की खाड़ी के पश्चिमोत्तर भाग में एक गहरा निम्न दाब क्षेत्र बना था, जो अब और अधिक सशक्त होकर चक्रवाती तूफान का रूप ले चुका है। इसका केंद्र उड़ीसा और आंध्र प्रदेश के तटीय भागों के समीप है, किंतु इसका प्रभाव छत्तीसगढ़ के दक्षिण-पूर्वी और मध्य भागों तक पहुँच गया है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह मौसमी तंत्र लगभग चार से पाँच दिन सक्रिय रहेगा, जिससे प्रदेश के दक्षिणी जिलों — विशेषकर बस्तर, सुकमा, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और बीजापुर में भारी वर्षा की संभावना है।


रेड अलर्ट की घोषणा

मौसम विभाग ने मंगलवार को पाँच जिलों — बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कोरबा और रायगढ़ — के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। इन जिलों में कहीं-कहीं मूसलाधार वर्षा के साथ वज्रपात और तेज़ हवाएँ चलने की आशंका है।
विभाग के अनुसार कुछ क्षेत्रों में 100 से 150 मिलीमीटर तक वर्षा हो सकती है।

इसके अतिरिक्त, धमतरी, महासमुंद, रायपुर, बालोद और कांकेर जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, जहाँ मध्यम से भारी वर्षा की संभावना है।


चक्रवात का प्रभाव

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में बने इस चक्रवाती तंत्र का नाम ‘व्रज’ रखा गया है। यह तंत्र दक्षिण-पूर्व दिशा से उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ रहा है। चक्रवात का केंद्र उड़ीसा तट से लगभग 120 किलोमीटर दूर समुद्र में स्थित है, परंतु इसके बाहरी घेरे की हवाएँ छत्तीसगढ़ के आकाश को भी प्रभावित कर रही हैं।

इस चक्रवाती प्रणाली के कारण न केवल वर्षा बल्कि तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई है। रायपुर में अधिकतम तापमान सामान्य से 4 डिग्री कम होकर 28 डिग्री सेल्सियस पर पहुँच गया है, जबकि न्यूनतम तापमान 19 डिग्री सेल्सियस के आसपास है।


कृषि पर असर

वर्षा का यह दौर किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। इस समय प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में धान की कटाई का कार्य प्रारम्भ हो चुका है। कई किसानों ने खेतों में धान काटकर सुखाने के लिए फैला रखा है। ऐसे में लगातार होने वाली वर्षा से धान की बालियाँ भीगकर सड़ सकती हैं, जिससे उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

कृषि वैज्ञानिक डॉ. सुरेश पटेल के अनुसार, “यदि तीन दिन तक लगातार बारिश होती रही, तो धान के दानों में अंकुरण प्रारम्भ हो सकता है, जिससे उसकी गुणवत्ता और बाजार मूल्य दोनों में गिरावट आएगी। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे कटाई रोक दें और पहले से कटी फसल को सुरक्षित स्थान पर रख दें।”

इसके अलावा, जिन खेतों में अभी धान की फसल खड़ी है, वहाँ जलभराव से पौधे गिर सकते हैं। निचले इलाकों में जल निकासी की व्यवस्था दुरुस्त करने की आवश्यकता है।


प्रशासनिक तैयारी

राज्य सरकार ने सभी जिलों के कलेक्टरों को सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। राहत और बचाव दलों को भी तैयार रखा गया है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कहा है कि बस्तर संभाग में नदी-नालों के किनारे बसे गाँवों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी।

पुलिस विभाग और नगर पालिकाओं को भी अलर्ट पर रखा गया है ताकि जलभराव या बिजली गिरने जैसी आकस्मिक घटनाओं से निपटा जा सके। राज्य के गृह मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जिन इलाकों में अधिक वर्षा की संभावना है, वहाँ पहले से ही राहत शिविरों और अस्थायी आश्रयों की व्यवस्था कर ली जाए।


आम जनता के लिए चेतावनी

मौसम विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे अनावश्यक यात्रा से बचें, विशेषकर उन सड़कों पर जहाँ जलभराव की संभावना रहती है। बिजली गिरने की घटनाओं से बचने के लिए वर्षा के समय खुले मैदानों, पेड़ों या बिजली के खंभों के नीचे खड़े न रहें।

यदि घर में टीवी, मोबाइल चार्जर या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण चालू हों, तो बिजली चमकने के समय उन्हें तुरंत बंद कर देना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में किसान और पशुपालक अपने पशुओं को भी सुरक्षित स्थानों पर रखें।


मौसम वैज्ञानिकों का विश्लेषण

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि यह स्थिति “पोस्ट-मानसून” अवधि में असामान्य नहीं है, किंतु इस बार दबाव अत्यधिक गहरा होने के कारण वर्षा का प्रभाव अधिक देखने को मिल रहा है।

आईएमडी रायपुर केंद्र के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी पी.के. साहू ने बताया —

“बंगाल की खाड़ी में हर वर्ष अक्टूबर के अंतिम सप्ताह या नवंबर के प्रारम्भ में एक-दो बार ऐसा चक्रवाती तंत्र बनता है, किंतु इस वर्ष यह अधिक तीव्र है। समुद्र का तापमान सामान्य से 2 डिग्री अधिक है, जिससे ऊर्जा अधिक प्राप्त हो रही है और तंत्र लम्बे समय तक सक्रिय रह सकता है।”

उनके अनुसार, यह तूफान धीरे-धीरे पश्चिम की ओर बढ़ेगा और दो दिनों में कमजोर पड़ जाएगा, किंतु तब तक राज्य के अधिकांश जिलों में रुक-रुक कर बारिश होती रहेगी।


ग्रामीण जीवन पर प्रभाव

बरसात के इस नए दौर ने ग्रामीण जीवन को भी प्रभावित किया है। कई गाँवों में कच्ची सड़कों पर कीचड़ और फिसलन के कारण आवाजाही बाधित है। जिन क्षेत्रों में पुलिया या छोटे पुल हैं, वहाँ से जल प्रवाह बढ़ गया है।

महिलाओं को चूल्हे जलाने में कठिनाई हो रही है क्योंकि जलाऊ लकड़ी गीली हो गई है। ग्रामीण बाजारों में सब्ज़ियों और खाद्य पदार्थों की आवक भी कम हो गई है। किसान संगठन सरकार से फसलों के नुकसान का सर्वेक्षण कर मुआवज़े की मांग कर रहे हैं।


बिजली व्यवस्था पर असर

तेज़ हवाओं और नमी के कारण कई स्थानों पर बिजली के तारों में शॉर्ट-सर्किट की घटनाएँ हुई हैं। बिजली वितरण कंपनी (CSPDCL) ने कहा है कि उनके दल चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं ताकि आपूर्ति बाधित न हो। नागरिकों से अपील की गई है कि गिरे हुए तारों या खंभों के पास न जाएँ और किसी भी आपात स्थिति में टोल-फ्री नंबर 1912 पर संपर्क करें।


स्वास्थ्य और स्वच्छता के मुद्दे

वर्षा के बाद जलभराव से मच्छरों का प्रकोप बढ़ सकता है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी नगर निगमों को निर्देश दिए हैं कि नालियों की सफाई और फॉगिंग की व्यवस्था की जाए। डॉक्टरों ने लोगों को उबला हुआ पानी पीने, खुला खाना न खाने और बरसात के दिनों में बच्चों को भीगने से बचाने की सलाह दी है।


रेल और सड़क परिवहन

लगातार बारिश के कारण कुछ इलाकों में रेल सेवाएँ प्रभावित हुई हैं। बिलासपुर-विशाखापत्तनम रेलखंड पर कुछ ट्रेनों को आंशिक रूप से रद्द या मार्ग परिवर्तित किया गया है।
सड़क मार्गों पर भी पानी भर जाने से यातायात में दिक्कतें आ रही हैं, विशेषकर बस्तर और कोरबा जिलों में।

राज्य परिवहन विभाग ने कहा है कि बस चालकों को फिसलन भरी सड़कों पर सावधानीपूर्वक वाहन चलाने के निर्देश दिए गए हैं।


पर्यावरणीय दृष्टि से लाभ

हालाँकि किसानों को इससे नुकसान का डर है, किंतु पर्यावरण के दृष्टिकोण से यह वर्षा लाभदायक मानी जा रही है। प्रदेश के वन क्षेत्रों में नमी बढ़ने से जंगल की आग की संभावनाएँ घटेंगी और भू-जल स्तर में सुधार होगा।

रायपुर स्थित पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. मनीषा तिवारी के अनुसार —

“अक्टूबर में होने वाली यह अतिरिक्त वर्षा आने वाले ग्रीष्मकाल में भूजल पुनर्भरण में सहायक सिद्ध होगी। यह जलवायु परिवर्तन का संकेत भी है कि अब मौसम चक्र पारंपरिक रूप से निश्चित नहीं रहा।”


ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य

यदि पिछले वर्षों के आँकड़ों को देखा जाए, तो छत्तीसगढ़ में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में वर्षा होना असामान्य नहीं, परंतु इतनी व्यापक और तीव्र वर्षा दुर्लभ है। वर्ष 2013 और 2019 में भी इसी अवधि में बंगाल की खाड़ी से आए चक्रवाती तूफानों के कारण प्रदेश में भारी बारिश हुई थी, जिससे फसलों को भारी नुकसान हुआ था।

मौसम विभाग का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र की ऊष्मा बढ़ रही है, जिससे ऐसे चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता दोनों बढ़ सकती हैं।


सरकार की राहत योजनाएँ

राज्य के कृषि मंत्री ने कहा है कि यदि किसानों की फसलों को नुकसान होता है तो “राजीव गांधी किसान न्याय योजना” के तहत उन्हें राहत दी जाएगी। साथ ही, कृषि बीमा योजना से जुड़े किसानों को बीमा दावा शीघ्र मिलेगा।

कृषि विभाग की टीमों को गाँव-गाँव जाकर सर्वेक्षण करने और फसल क्षति की रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया गया है।


निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ में लौटे इस बरसाती दौर ने एक ओर जहाँ मौसम को सुहावना बना दिया है, वहीं किसानों और प्रशासन के लिए चुनौती भी खड़ी कर दी है। बंगाल की खाड़ी से उठा यह चक्रवाती तूफान आने वाले कुछ दिनों तक राज्य के मौसम को प्रभावित करता रहेगा।

फिलहाल सभी की निगाहें मौसम विभाग के अगले अपडेट पर टिकी हैं। नागरिकों से अपील है कि वे सतर्क रहें, अफवाहों पर ध्यान न दें और किसी भी आपात स्थिति में स्थानीय प्रशासन के संपर्क में रहें।


संक्षिप्त सारांश (Summary)

  • बंगाल की खाड़ी में बना गहरा दबाव अब चक्रवाती तूफान में बदला।

  • छत्तीसगढ़ के पाँच जिलों — बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, कोरबा, रायगढ़ — में रेड अलर्ट।

  • तीन से चार दिन तक तेज़ बारिश की संभावना।

  • धान की फसल पर खतरा, किसानों में चिंता।

  • प्रशासन ने राहत दलों को तैयार रखा।

  • तापमान में गिरावट और हल्की ठंडक बढ़ी।

  • आम जनता को सावधानी बरतने की सलाह।

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