छठ पूजा व्रत: ऑटोफैजी का विज्ञान – कैसे 36 घंटे का उपवास शरीर को प्राकृतिक रूप से डिटॉक्स करता है…

हर वर्ष कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को देश के कई राज्यों में छठ पर्व बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह पर्व सूर्य देव और छठ माई की उपासना का प्रतीक है। चार दिनों तक चलने वाले इस व्रत में महिलाएं 36 घंटे निर्जल उपवास रखती हैं और बिना अन्न या जल ग्रहण किए दो बार सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं।
यह व्रत केवल धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि शरीर को विषमुक्त (डिटॉक्स) करने की एक प्राकृतिक प्रक्रिया भी है। लंबे समय तक उपवास करने पर शरीर में ऑटोफैगी नामक जैविक प्रक्रिया शुरू होती है। जब शरीर को बाहरी भोजन से पर्याप्त ऊर्जा नहीं मिलती, तो वह अपनी कमजोर और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को तोड़कर ऊर्जा उत्पन्न करता है। इससे चयापचय (metabolism) सुधरता है और शरीर अधिक कार्यक्षम बनता है।
साल 2016 में, जापान के वैज्ञानिक योशिनोरी ओहसुमी को इस प्रक्रिया के वैज्ञानिक आधार को स्पष्ट करने के लिए फिजियोलॉजी या मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार दिया गया था।
तो आज “हमारे काम की बात” में हम चर्चा करेंगे — छठ व्रत के स्वास्थ्य लाभों पर।
उपवास शरीर को डिटॉक्स करने में कैसे मदद करता है?
अच्छे स्वास्थ्य के लिए उपवास क्यों ज़रूरी है?
विशेषज्ञ: डॉ. अनु अग्रवाल, पोषण विशेषज्ञ एवं OneDietToday की संस्थापक
प्रश्न: लंबे समय तक उपवास करने के क्या फायदे हैं?
उत्तर: छठ पर्व चार दिन चलता है। उपवास रखने वाली महिलाएं 36 घंटे बिना पानी के व्रत रखती हैं। इस दौरान शरीर ऊर्जा के लिए वसा (fat) और ग्लूकोज़ के भंडार का उपयोग करता है, जिससे अंगों का कार्य बेहतर होता है। उपवास से मेटाबॉलिज़्म और इम्यून सिस्टम दोनों मजबूत होते हैं। इसलिए छठ जैसा पारंपरिक व्रत केवल धार्मिक नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है।
प्रश्न: उपवास शरीर को विषमुक्त (डिटॉक्स) कैसे करता है?
उत्तर: उपवास के दौरान शरीर को पाचन की लगातार प्रक्रिया से आराम मिलता है। इस समय शरीर में जमा विषैले तत्व (toxins) बाहर निकलते हैं, जिससे शरीर स्वाभाविक रूप से डिटॉक्सिफाई होता है और हल्कापन व ऊर्जा का अनुभव होता है।
प्रश्न: छठ व्रत के चारों दिनों की प्रक्रिया क्या है?
उत्तर: छठ व्रत अनुशासन और आत्मसंयम का चार दिवसीय पर्व है, जिसमें प्रत्येक दिन का अपना महत्व होता है।
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नहाय-खाय (पहला दिन): व्रतधारी महिलाएं घर की सफाई करती हैं, स्नान करती हैं और शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं — जैसे कद्दू-भात और चना दाल। यही दिन व्रत की शुरुआत का प्रतीक है।
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खरना (दूसरा दिन): भक्त पूरे दिन निर्जल उपवास रखते हैं। शाम को पवित्र नदी या जल में स्नान के बाद गुड़-चावल की खीर और रोटी का प्रसाद बनाकर सूर्य को अर्पित किया जाता है। इसके बाद 36 घंटे का निर्जल उपवास शुरू होता है।
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संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन): इस दिन व्रती महिलाएं मावळते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। घाटों पर दीप जलाए जाते हैं और परिवारजन भी पूजा में सम्मिलित होते हैं।
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उषा अर्घ्य (चौथा दिन): अंतिम दिन व्रती महिलाएं उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इसके बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।
प्रश्न: छठ पूजा में कौन-कौन से पारंपरिक व्यंजन बनते हैं और उनके स्वास्थ्य लाभ क्या हैं?
उत्तर: पूजा के दौरान ठेकुआ (गेहूं के आटे से) और लड्डू (चावल के आटे से) प्रसाद के रूप में बनाए जाते हैं।
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ठेकुआ कार्बोहाइड्रेट का अच्छा स्रोत है, जो उपवास के बाद तुरंत ऊर्जा प्रदान करता है। इसमें मौजूद फाइबर पाचन को सुधारता है और कब्ज को कम करता है।
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चावल के लड्डू में भरपूर फाइबर होता है, जो मेटाबॉलिज़्म को संतुलित करता है। चावल शरीर को ठंडक देता है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।
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गुड़ में मौजूद लोह तत्व (iron) हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ाते हैं और कमज़ोरी को दूर करते हैं।
प्रश्न: क्या उपवास से वजन कम करने में मदद मिलती है?
उत्तर: डॉ. अनु अग्रवाल बताती हैं कि हाँ, उपवास के दौरान कैलोरी का सेवन सीमित हो जाता है और शरीर में ऑटोफैगी प्रक्रिया शुरू होती है। इससे वसा जलती है और शरीर का अतिरिक्त वजन कम होता है। साथ ही नियमित उपवास से मेटाबॉलिज़्म सुधरता है, जिससे स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद मिलती है।
प्रश्न: हृदय के स्वास्थ्य के लिए उपवास कितना लाभदायक है?
उत्तर: उपवास के दौरान शरीर में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर नियंत्रित रहता है, जिससे हृदय पर दबाव कम होता है। सीमित और सात्विक आहार से रक्तचाप भी नियंत्रित रहता है और हृदय स्वास्थ्य बेहतर होता है।
प्रश्न: क्या मधुमेह के रोगी छठ व्रत रख सकते हैं?
उत्तर: मधुमेह के रोगियों को उपवास से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए। लंबे समय तक निर्जल व्रत रखने से ब्लड शुगर का स्तर अचानक घट या बढ़ सकता है। डॉक्टर की सलाह पर फलों, नारियल पानी और पर्याप्त हाइड्रेशन के साथ सीमित उपवास किया जा सकता है।
प्रश्न: किन लोगों को छठ व्रत रखने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए?
उत्तर: जिन लोगों को मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, किडनी की समस्या या गंभीर पाचन संबंधी दिक्कतें हैं, उन्हें उपवास से पहले चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। साथ ही गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग भी उपवास शुरू करने से पहले डॉक्टर की राय अवश्य लें।
