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US Venezuela Conflict; Russian Missiles Vs Trump Military | Nicolas Maduro | वेनेजुएला की…


काराकास11 घंटे पहले

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वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने बुधवार को एक टीवी प्रोग्राम में कहा कि उनके देश ने अमेरिकी खतरे से निपटने के लिए रूस से मिली 5,000 इग्ला-एस मिसाइलें तैनात की हैं।

मादुरो ने कहा- हमारे पास 5,000 मिसाइलें हैं, जो देश की शांति और आजादी की रक्षा करेंगी। ये मिसाइलें हवा में कम दूरी के हमलों को रोकने के लिए तैनात की गई हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि ये हथियार किसी भी साम्राज्यवादी खतरे का जवाब देने के लिए हैं और वेनेजुएला की सेना अपनी मातृभूमि की एक-एक इंच जमीन की रक्षा के लिए तैयार है।

अमेरिका का कई बार वेनेजुएला की बोट्स पर हमला

अमेरिका लंबे समय से मादुरो के खिलाफ है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने वेनेजुएला के समुद्री तट के पास कुछ नौसैनिक जहाज भेजे हैं, जिन्हें अमेरिका ने ड्रग्स के खिलाफ ऑपरेशन बताया है।

अमेरिका ने पिछले कुछ वक्त में वेनेजुएला की कुछ नावों को तबाह भी कर दिया है। उसका आरोप है कि ये नावें ड्रग्स ले जा रही थीं। हालांकि वेनेजुएला ने इन आरोपों को गलत बताया है।

वेनेजुएला का कहना है कि अमेरिका का यह ऑपरेशन उसकी आजादी पर हमला है।

पिछले महीने वेनेजुएला की बोट पर अमेरिकी हमले का फुटेज। इस हमले में 3 लोग मारे गए थे।

मादुरो पर 420 करोड़ रुपए का इनाम

अमेरिका ने मादुरो पर 7 अगस्त को 50 मिलियन डॉलर, यानी करीब 420 करोड़ रुपए का इनाम रखा था। इसके अलावा उनसे जुड़े 700 मिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति भी जब्त की गई है। इसमें दो प्राइवेट जेट भी शामिल हैं।

ट्रम्प प्रशासन का आरोप है कि मादुरो ड्रग तस्कर हैं और ड्रग कार्टेल के साथ मिलकर अमेरिका में फेंटानाइल मिला कोकीन भेज रहे हैं। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि मादुरो के पास 7 टन कोकीन है, जिसे वे अमेरिका भेजने की तैयारी कर रहे हैं।

मदुरो पर 2020 में नार्को टेररिज्म के आरोप लगे थे

मदुरो पर 2020 में मैनहैटन की संघीय अदालत में नार्को-टेररिज्म और कोकीन तस्करी की साजिश के आरोप तय किए गए थे।

उस समय ट्रम्प प्रशासन ने उनकी गिरफ्तारी पर 1.5 करोड़ डॉलर का इनाम रखा था। इसे बाद में बाइडेन प्रशासन ने बढ़ाकर 2.5 करोड़ डॉलर कर दिया। इतना इनाम अमेरिका ने 9/11 हमलों के बाद ओसामा बिन लादेन की गिरफ्तारी पर रखा था।

मदुरो 2013 से वेनेजुएला की सत्ता में बने हुए हैं। अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और लैटिन अमेरिकी देश उन पर चुनावों में धोखाधड़ी का आरोप लगाते रहे हैं। 2024 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में इन देशों ने मदुरो पर धांधली का आरोप लगाया था।

अमेरिका ने वेनेजुएला पर कई प्रतिबंध लगाए हैं

वेनेजुएला और अमेरिका के बीच कई दशकों से राजनीतिक मतभेद रहे हैं। वेनेजुएला, अमेरिकी की पूंजीवादी और विदेश नीतियों को लेकर आलोचना करता है, तो वहीं अमेरिका, वेनेजुएला में मानवाधिकार के उल्लंघन पर नाराजगी जताता रहा है।

लगभग 100 साल पहले वेनेजुएला में तेल भंडारों की खोज हुई थी। तेल की खोज होने के 20 साल बाद ही वेनेजुएला दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देशों में से एक बन गया। उसे लैटिन अमेरिका का सऊदी अरब कहा जाने लगा।

1950 के दशक में वेनेजुएला दुनिया का चौथा सबसे धनी देश था, लेकिन आज इस देश की हालत खराब हो चुकी है। देश की 75 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रही है। BBC के मुताबिक पिछले 7 साल में करीब 75 लाख लोग देश छोड़कर चले गए हैं।

दरअसल, वेनेजुएला लगभग पूरी तरह से तेल पर निर्भर था। 80 के दशक में तेल की कीमतें गिरने लगीं। कीमतों में गिरावट ने वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था को भी नीचे ला दिया। सरकारी नीतियों की वजह से वेनेजुएला अपना कर्ज चुकाने में फेल होने लगा।

बाद में तेल के दाम बढ़े भी तो वह इसका फायदा नहीं उठा सका। 2015 में अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से वेनेजुएला की हालत और खराब हो गई है।

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