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भारत की टीम ऑस्ट्रेलिया से क्यों हारी? पाँच प्रमुख कारण — कोहली का शून्य पर आउट होना, रोहित और शुभमन का खराब प्रदर्शन।

भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया दौरे में एकदिवसीय श्रृंखला गंवा दी है। तीन मैचों की इस श्रृंखला के पहले दो मुकाबले ऑस्ट्रेलिया ने एकतरफा तरीके से जीत लिए। दोनों ही एकदिवसीय मैचों में टीम इंडिया को बल्लेबाज़ी, गेंदबाज़ी और क्षेत्ररक्षण—तीनों विभागों में निराशाजनक प्रदर्शन के कारण पराजय झेलनी पड़ी। भारत की खराब प्रदर्शन के पीछे पाँच प्रमुख कारण रहे। आइए उन्हें एक-एक कर समझते हैं—


1. दोनों मैचों में टॉस हारना

पर्थ और एडिलेड की परिस्थितियाँ ऐसी थीं कि पहले क्षेत्ररक्षण करने वाली टीम को लाभ मिल रहा था। किंतु भारतीय कप्तान शुभमन गिल दोनों बार टॉस हार गए। परिणामस्वरूप, भारत को दोनों मैचों में पहले बल्लेबाज़ी करनी पड़ी और टीम पर्याप्त रन नहीं जुटा सकी।

पर्थ में भारत की पारी वर्षा के कारण चार बार बाधित हुई, जिससे टीम की लय टूट गई। आरंभ में गेंद सीम और स्विंग दोनों कर रही थी, जिससे बल्लेबाज़ों को परेशानी हुई। एडिलेड में भी मैच से पूर्व वर्षा हुई थी, जिसके कारण पिच लंबे समय तक ढकी रही और नमी बनी रही। ऑस्ट्रेलियाई तेज़ गेंदबाज़ों ने इस परिस्थिति का पूरा लाभ उठाया।

गौरतलब है कि टीम इंडिया पिछली 17 एकदिवसीय प्रतियोगिताओं में एक भी टॉस नहीं जीत सकी है।


2. शीर्ष तीन बल्लेबाज़ों का बेहद कमजोर प्रदर्शन

एकदिवसीय क्रिकेट में शीर्ष क्रम के तीन बल्लेबाज़ों की भूमिका निर्णायक मानी जाती है। यदि इनमें से कोई एक भी शतक जमाए, तो टीम का बड़ा स्कोर लगभग निश्चित होता है। किंतु भारत के शीर्ष तीनों खिलाड़ी दोनों मैचों में विफल रहे।

कप्तान शुभमन गिल ने पर्थ में 10 और एडिलेड में 9 रन बनाए। विराट कोहली दोनों मैचों में शून्य पर आउट हुए। रोहित शर्मा ने एडिलेड में कुछ अच्छे शॉट खेले, पर पर्थ में वे भी असफल रहे। इस प्रकार, दो मैचों के छह पारियों में भारत के शीर्ष तीन बल्लेबाज़ों ने केवल एक अर्धशतक लगाया और कुल मिलाकर लगभग 100 रन ही जोड़ पाए।


3. कुलदीप यादव को मौका न देना

भारतीय टीम प्रबंधन ने बल्लेबाज़ी सशक्त करने के प्रयास में गेंदबाज़ी आक्रमण को कमज़ोर कर दिया। ऑस्ट्रेलिया की पिचों पर फिंगर स्पिनरों की तुलना में कलाई के स्पिनर अधिक कारगर सिद्ध होते हैं, फिर भी कुलदीप यादव को दोनों मैचों में बाहर रखा गया। अक्षर पटेल और वॉशिंग्टन सुंदर ने ठीक-ठाक गेंदबाज़ी की, किंतु वे निर्णायक प्रभाव नहीं छोड़ सके।


4. शुभमन गिल का अप्रभावी नेतृत्व

शुभमन गिल न केवल बल्लेबाज़ के रूप में असफल रहे, बल्कि कप्तान के रूप में भी उनका प्रदर्शन प्रेरणादायक नहीं रहा। दोनों मैचों में भारतीय टीम में वह ऊर्जा और जोश दिखाई नहीं दिया, जो सामान्यतः विराट कोहली या रोहित शर्मा की कप्तानी में देखने को मिलता है। गिल की क्षेत्ररक्षण स्थिति निर्धारण और गेंदबाज़ी बदलाव की रणनीतियाँ भी असरदार नहीं रहीं।


5. तेज़ गेंदबाज़ों की फीकी गेंदबाज़ी

अनुकूल परिस्थितियों के बावजूद भारत के तेज़ गेंदबाज़ अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके। अर्शदीप सिंह और हर्षित राणा ने दोनों मैचों में मिलकर केवल पाँच विकेट लिए, जबकि मोहम्मद सिराज एक भी विकेट नहीं निकाल पाए। इसके विपरीत, ऑस्ट्रेलियाई तेज़ गेंदबाज़ों ने कुल 11 विकेट हासिल किए।


निष्कर्ष:
भारतीय टीम की हार केवल एक-दो खिलाड़ियों की विफलता नहीं, बल्कि सामूहिक कमज़ोरी का परिणाम रही। टॉस हारने से लेकर गलत टीम चयन और कमजोर कप्तानी तक—हर पहलू ने पराजय में योगदान दिया। आने वाली श्रृंखलाओं में इन गलतियों से सबक लेना भारतीय टीम के लिए अत्यंत आवश्यक होगा।

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