पोस्ट दिवाली डिटॉक्स सुझाव | त्यौहारी भोजन के बाद शरीर को कैसे करें शुद्ध | दीपावली के बाद अब करें डिटॉक्स…

भारत में त्यौहारों का अर्थ है पकवान और मिठाइयाँ
दीपावली के अवसर पर विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ और स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किए जाते हैं। लड्डू, नमकीन, पूरी और कचौरी — इन सबका सेवन हम प्रायः करते ही हैं।
ये स्वादिष्ट व्यंजन और पेय कई बार पेट के लिए भारी पड़ते हैं। फलस्वरूप अपच, गैस अथवा थकान की समस्या उत्पन्न होती है। वास्तव में इस अवधि में शरीर में अत्यधिक मात्रा में चीनी, परिष्कृत आटा तथा तेल एकत्र हो जाते हैं, जो शरीर के लिए विषैले तत्व का कार्य करते हैं।
ऐसी स्थिति में त्यौहार का आनंद लेना जितना आवश्यक है, उतना ही महत्त्वपूर्ण है शरीर को कुछ विश्राम देना और उसे विषमुक्त करना।
अतः आज “काम की बात” में हम शरीर के डिटॉक्सिफिकेशन (विषहरण) के विषय में चर्चा करेंगे। साथ ही यह भी जानेंगे —
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भोजन और पेय में कौन-कौन से परिवर्तन आवश्यक हैं?
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विषहरण के दौरान किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
विशेषज्ञ: डॉ. गौरव जैन, वरिष्ठ सलाहकार, आंतरिक चिकित्सा विभाग, धर्मशिला नारायण सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, नई दिल्ली
प्रश्न: डिटॉक्सिफिकेशन क्या है और दीपावली के बाद यह क्यों आवश्यक है?
उत्तर: डिटॉक्सिफिकेशन का अर्थ है — आहार या जीवनशैली के कारण शरीर में एकत्रित हानिकारक तत्वों को बाहर निकालना। दीपावली के समय हम अत्यधिक मीठे और तले हुए पदार्थों का सेवन करते हैं, जिससे शरीर में विषैले तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है। इससे पाचन तंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और रक्तचाप व रक्तशर्करा का संतुलन बिगड़ सकता है, जिससे थकान उत्पन्न होती है।
डिटॉक्स प्रक्रिया से यकृत, गुर्दे और पाचन तंत्र को विश्राम मिलता है। यह शरीर को स्वच्छ बनाती है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और त्वचा को निखार देती है। यदि इसे सही ढंग से न किया जाए तो वजन बढ़ने और पाचन संबंधी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
डॉ. गौरव जैन के अनुसार, दीपावली के पश्चात् डिटॉक्सिंग शरीर को पुनः ऊर्जावान बनाने का सबसे सरल उपाय है।
प्रश्न: विषहरण के लिए जीवनशैली में कौन-से परिवर्तन आवश्यक हैं?
उत्तर: डिटॉक्स केवल भोजन से संबंधित नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण दिनचर्या में बदलाव की आवश्यकता होती है।
प्रतिदिन १० से १२ गिलास पानी अवश्य पिएँ — यह मूत्र और पसीने के माध्यम से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है।
चयापचय बढ़ाने के लिए प्रतिदिन ३० से ४५ मिनट हल्का व्यायाम करें, जैसे टहलना, योग या स्ट्रेचिंग।
पर्याप्त नींद लें — कम से कम आठ घंटे। नींद के दौरान यकृत और मस्तिष्क अपनी मरम्मत करते हैं। एक अतिरिक्त घंटे की नींद भी शरीर के लिए अत्यंत लाभदायक होती है। ध्यान और गहरी श्वास लेने का अभ्यास तनाव कम करता है, क्योंकि तनाव से भी विषैले तत्व बढ़ते हैं। इस दौरान धूम्रपान और मद्यपान से परहेज करें।
प्रश्न: विषहरण के दौरान क्या खाना चाहिए?
उत्तर: इस अवधि में रेशेयुक्त और प्रोबायोटिक पदार्थों का सेवन करें।
सेब, पपीता और केला जैसे फल ऊर्जा देते हैं तथा आसानी से पचते हैं।
ब्रोकोली, पालक, चुकंदर और गाजर जैसी सब्जियाँ ऐंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती हैं।
प्रोबायोटिक्स के लिए दही और छाछ का सेवन करें — ये अच्छे जीवाणुओं की वृद्धि में सहायक हैं।
लहसुन, प्याज और अदरक पाचन क्रिया को सुधारते हैं।
ग्रीन टी, तुलसी या दालचीनी की हर्बल चाय ऐंटीऑक्सिडेंट प्रदान करती है।
मूँग या सोयाबीन जैसे प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थ खाएँ, तथा अत्यधिक तेल-मसाले से बचें।
प्रश्न: लिंबू और लहसुन को डिटॉक्स में इतना लाभकारी क्यों माना जाता है?
उत्तर: नींबू में विटामिन ‘सी’ और ऐंटीऑक्सिडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो यकृत को विषमुक्त करने और प्रतिरक्षा तंत्र को सशक्त बनाने में सहायक हैं।
प्रातःकाल गुनगुने पानी में नींबू रस मिलाकर पीने से पाचन सुधरता है और विषैले तत्व बाहर निकलते हैं।
लहसुन में सल्फर यौगिक और जीवाणुनाशक गुण होते हैं। यह रक्तचाप नियंत्रित करता है और यकृत की शुद्धि में सहायक है। इसे सलाद में कच्चा या सब्ज़ी में हल्का पका कर खाया जा सकता है। दोनों ही तत्व सूजन घटाते हैं और पाचन सुधारते हैं — परंतु इनका सेवन सीमित मात्रा में करें।
प्रश्न: क्या शरीर को तीन दिनों में डिटॉक्स किया जा सकता है?
उत्तर: हाँ, बिल्कुल संभव है। इसके लिए तीन दिवसीय डिटॉक्स योजना बनाइए।
प्रत्येक दिन की शुरुआत गुनगुने पानी से करें, भोजन हल्का रखें और नियमित व्यायाम करें।
इस प्रकार की दिनचर्या से शरीर शीघ्रता से संतुलन में लौट आता है।
प्रश्न: डिटॉक्स करते समय किन सावधानियों की आवश्यकता होती है?
उत्तर: विषहरण के दौरान संतुलन अत्यंत आवश्यक है।
यदि आपको मधुमेह, उच्च रक्तचाप या कोई अन्य रोग है, तो पहले चिकित्सक की सलाह लें।
दैनिक एक या दो नींबू पर्याप्त हैं। अधिक लहसुन खाने से गैस हो सकती है, अतः केवल २–३ कलियाँ ही लें।
व्यायाम हल्का रखें — अधिक करने पर थकान और दुर्बलता हो सकती है।
यदि चक्कर, कमजोरी या उल्टी जैसे लक्षण दिखें, तो प्रक्रिया रोक दें और डॉक्टर से परामर्श करें।
बच्चों, वृद्धों और गर्भवती महिलाओं के लिए हल्की डिटॉक्स योजना अपनाएँ।
ध्यान रखें — डिटॉक्स का अर्थ उपवास नहीं है, बल्कि हल्का व पौष्टिक भोजन करना है।
प्रश्न: डिटॉक्स के दौरान किन चीज़ों से बचना चाहिए?
उत्तर: इस अवधि में ऐसे पदार्थ न लें जो पेट पर भार डालें या विषैले तत्वों को बढ़ाएँ।
मीठे व तले हुए खाद्य पदार्थ, रिफाइंड आटा, अत्यधिक नमक, शराब तथा चाय या कॉफी जैसे कैफीनयुक्त पेय से परहेज करें।
चिप्स, बिस्कुट और कोल्ड ड्रिंक जैसे प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों में रसायन और चीनी होती है, जो यकृत पर बोझ डालते हैं।
साथ ही आलू व सफेद ब्रेड जैसे स्टार्चयुक्त पदार्थों का सेवन सीमित करें, क्योंकि ये रक्त शर्करा को तेजी से बढ़ाते हैं।
डॉ. गौरव जैन के अनुसार, डिटॉक्स के समय हल्के और प्राकृतिक आहार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि शरीर को पूर्ण विश्राम मिल सके।
प्रश्न: क्या मस्तिष्क को भी डिटॉक्स की आवश्यकता होती है?
उत्तर: निस्संदेह। दीपावली के दौरान अधिक भोजन से हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप चिड़चिड़ापन, तनाव अथवा नींद की कमी होती है।
मस्तिष्क के विषहरण हेतु ध्यान करें या प्रतिदिन १०–१५ मिनट गहरी श्वास लें।
यह मन को शांत कर एकाग्रता बढ़ाता है।
अतिरिक्त एक घंटे की नींद मस्तिष्क को ताजगी प्रदान करती है।
मानसिक थकान कम करने के लिए मोबाइल और स्क्रीन टाइम सीमित रखें।
इससे न केवल मनोभाव सुधरते हैं, बल्कि अगले दिन के लिए ऊर्जा भी बनी रहती है।
प्रश्न: जो लोग वजन घटाना चाहते हैं, वे क्या करें?
उत्तर: वजन कम करने के इच्छुक लोग अपने आहार में पर्याप्त रेशा और प्रोटीन शामिल करें।
सेब, पालक और ब्रोकोली जैसी फल–सब्जियाँ खाएँ — ये पेट भरे रहने में मदद करती हैं और आसानी से पच जाती हैं।
प्रोटीन के लिए मसूर, सोयाबीन अथवा दही का सेवन करें।
नींबू पानी और ग्रीन टी वसा घटाने में सहायक हैं।
तेलयुक्त भोजन, चीनी और रिफाइंड मैदा से पूरी तरह बचें।
प्रतिदिन ४५ मिनट पैदल चलें और १०–१२ गिलास पानी पिएँ।
यदि डाइट योजना का सही पालन किया जाए तो मात्र तीन दिनों में ०.५ से १ किलोग्राम तक वजन घटाया जा सकता है।
