महाराष्ट्र

महाराष्ट्र वर्षा चक्रवात मोंथा अलर्ट मौसम विभाग | दीपावली के बाद भी वर्षा थमने का नाम नहीं ले रही: अब राज्य पर ‘मोंथा’ का संकट…

राज्य में दिवाली के बाद भी लौटते मानसून का प्रभाव बना हुआ है और कई क्षेत्रों में मूसलाधार वर्षा जारी है। बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव क्षेत्र के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। मौसम विभाग के अनुसार, यह निम्न दबाव क्षेत्र इस समय काफी सक्रिय हो गया है।

संभावित चक्रवात और भारी वर्षा की पृष्ठभूमि में राज्य सरकार ने सभी आवश्यक तैयारियाँ पूरी कर ली हैं। भारतीय तटरक्षक दल और मौसम विभाग ने राज्य के समुद्री तटों पर स्थित सभी मछुआरों को समुद्र में न जाने की सख्त चेतावनी दी है।

अक्टूबर के अंत तक वर्षा की संभावना
अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में सक्रिय निम्न दबाव क्षेत्रों के कारण अक्टूबर माह के अंत तक राज्य में वर्षा का दौर जारी रह सकता है। मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी तटवर्ती क्षेत्र में 25 से 29 अक्टूबर 2025 के बीच निम्न दबाव का प्रभाव रहने से हवाओं की गति 35 से 45 किलोमीटर प्रति घंटा रहेगी, जबकि कुछ स्थानों पर यह गति 55 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुँच सकती है। इसके परिणामस्वरूप मुंबई सहित उपनगरों में आज (सोमवार) भी आकाश मेघाच्छन्न रहेगा और अगले दो दिनों तक वर्षा की संभावना बनी रहेगी। कोकण और मध्य महाराष्ट्र में वर्षा का प्रभाव अधिक रहेगा।

रविवार को मुंबई में रिमझिम वर्षा
रविवार को मुंबई में पूरे दिन रिमझिम वर्षा होती रही। कुलाबा केंद्र में सुबह 8:30 से शाम 5:30 बजे तक 14.6 मि.मी. और सांताक्रूज़ केंद्र में 6.6 मि.मी. वर्षा दर्ज की गई। अरब सागर में बना निम्न दबाव क्षेत्र अगले 24 घंटों में दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर बढ़ते हुए पूर्व-मध्य अरब सागर पार करने की संभावना है।

नवंबर के प्रथम सप्ताह में मौसम शुष्क होने की संभावना
इस बीच, मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि लगातार हो रही वर्षा के बाद नवंबर के प्रथम सप्ताह में राज्य का मौसम शुष्क हो जाएगा। तब तक नागरिकों, विशेष रूप से मछुआरों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

लौटते मानसून से किसानों को भारी नुकसान
इस लौटते मानसून ने किसानों को भारी क्षति पहुँचाई है। प्याज, सोयाबीन, कपास, मक्का और सब्ज़ियों की फसलों को बड़ा नुकसान हुआ है। कई स्थानों पर खेत पूरी तरह पानी में डूब गए हैं। रायगढ़ ज़िले में धान की कटाई ठप पड़ी है, जबकि पुणे में धान की फसल जलमग्न हो गई है।

दूसरी ओर, निफाड तहसील के प्रमुख अंगूर उत्पादक क्षेत्रों में शनिवार और रविवार की रात को बेमौसम वर्षा हुई। इस अवकाली वर्षा से अंगूर की खेती को सबसे अधिक नुकसान पहुँचा है। अंगूर की बेलें इस वर्षा के प्रकोप में आ गई हैं और रोगों से बचाव के लिए किसान सुबह से ही फवारणी में जुट गए हैं। किंतु खेतों में पानी और कीचड़ के कारण ट्रैक्टरों की आवाजाही में कठिनाई आ रही है। फवारणी की लागत अधिक होने के कारण अंगूर उत्पादक किसान चिंता में हैं। इस वर्षा से अंगूर के साथ-साथ प्याज और मक्का की फसलों को भी व्यापक नुकसान हुआ है।

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