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आईसीसी महिला विश्व कप 2025 विवाद : कार्यक्रम निर्धारण में अव्यवस्था, कुप्रबंधन उजागर – 21% तैयारी अधूरी

आईसीसी की बड़ी प्रतियोगिताओं में अव्यवस्था उजागर

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) की प्रमुख प्रतियोगिताओं के प्रबंधन में स्पष्ट रूप से अव्यवस्था दिखाई दे रही है। इसका नवीनतम उदाहरण 2025 के महिला एकदिवसीय विश्व कप में देखने को मिला, जहाँ खराब समय-सारणी के कारण 28 समूह मैचों में से 6 (लगभग 21%) मुकाबले वर्षा के कारण रद्द करने पड़े। इन रद्द मैचों के चलते पूर्व विजेता न्यूज़ीलैंड को अंक तालिका में छठे स्थान पर रहना पड़ा। वहीं मेज़बान श्रीलंका को कोलंबो में वर्षा के कारण तीन मैच गंवाने पड़े। पाकिस्तान अंतिम स्थान पर रहा।

सात टीमों को कम से कम एक-एक मुकाबला रद्द होने का सामना करना पड़ा, जिससे प्रतियोगिता की प्रतिस्पर्धात्मकता और संतुलन प्रभावित हुआ। इंदौर में दो ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों के साथ छेड़छाड़ की घटना के कारण सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर प्रश्न उठे। खिलाड़ियों और दर्शकों की शिकायतों से यह स्पष्ट होता है कि आईसीसी अपनी प्रमुख प्रतियोगिताओं के आयोजन, खिलाड़ियों की सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं के प्रबंधन में लगातार असफल सिद्ध हो रहा है।


समय-सारणी और टिकट प्रबंधन में लापरवाही

यद्यपि प्रतियोगिता का कार्यक्रम 41 दिन पूर्व घोषित किया गया था, फिर भी टिकट वितरण की स्थिति 2023 के पुरुष विश्व कप के दौरान आईसीसी की कमजोर संगठनात्मक क्षमता को उजागर करती है। टिकटें मात्र 41 दिन पहले जारी की गईं, जिससे विदेशी दर्शकों को वीज़ा, यात्रा, और आवास की व्यवस्था करने का पर्याप्त समय नहीं मिला। परिणामस्वरूप, भारत के बाहर खेले गए कई मैचों में स्टेडियम लगभग खाली रहे।

2025 के महिला विश्व कप का कार्यक्रम भी एक माह पूर्व बदला गया, जिससे समस्याएँ और बढ़ गईं। टिकट वितरण की प्रक्रिया भी अव्यवस्थित रही — BookMyShow पर टिकटें “सोल्ड आउट” बताई गईं, जबकि मैदानों में हजारों सीटें खाली दिखीं।

2023 विश्व कप में, 65,000 दर्शक क्षमता वाले ईडन गार्डन्स में केवल 32,000 टिकटें बिकीं, जबकि चेपॉक स्टेडियम (37,000 क्षमता) में मात्र 13,000 टिकटें ही बेची गईं। बीसीसीआई ने प्रायोजकों और अतिथियों के लिए बड़ी संख्या में टिकटें आरक्षित रखीं, जिससे वास्तविक दर्शक वंचित रह गए।


खिलाड़ियों की आवास और यात्रा संबंधी परेशानियाँ

2024 के टी20 विश्व कप में खिलाड़ियों की आवास व्यवस्था को लेकर भी आईसीसी की आलोचना हुई। पाकिस्तान टीम को न्यूयॉर्क स्थित स्टेडियम से लगभग 90 मिनट दूर होटल में ठहराया गया, जिसके कारण बीच टूर्नामेंट में उन्हें होटल बदलना पड़ा।

2024 चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान दक्षिण अफ्रीका टीम को अत्यधिक कठिन यात्रा करनी पड़ी। उन्हें पाकिस्तान से दुबई और फिर 18 घंटे के भीतर वापस पाकिस्तान लौटना पड़ा। भारत के सभी मुकाबले दुबई में आयोजित थे, जबकि पाकिस्तान मेज़बान था। दक्षिण अफ्रीकी टीम रविवार दोपहर दुबई पहुँची और न्यूज़ीलैंड के विरुद्ध मैच तय होने के बाद अगले दिन सुबह पाकिस्तान लौटनी पड़ी।

इसी तरह, श्रीलंका टीम को पिछले टी20 विश्व कप में पराजय के तुरंत बाद मैदान छोड़ना पड़ा क्योंकि उनकी उड़ान शाम 6 बजे की थी। उनका होटल स्टेडियम से डेढ़ घंटे की दूरी पर था। कई खिलाड़ी बिना नाश्ता किए सुबह 7 बजे निकल गए और सात घंटे की उड़ान विलंब के कारण उन्हें अतिरिक्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।


खराब पिचें और स्थल चयन पर प्रश्नचिह्न

आईसीसी की स्थल चयन नीति भी लगातार विवादों में रही है। 2024 टी20 विश्व कप के दौरान अमेरिका के नासाऊ काउंटी की पिच अत्यंत धीमी और असमान उछाल वाली पाई गई। पूर्व क्रिकेटर एंडी फ्लावर ने इसे “खतरनाक” करार दिया। लॉडरहिल को चार मैचों की मेजबानी दी गई, परंतु उनमें से तीन मुकाबले बिना एक भी गेंद फेंके रद्द करने पड़े क्योंकि वर्षा के बाद पिच सूखी नहीं थी।


प्रशासनिक ढिलाई और जिम्मेदारी का अभाव

2023 से स्थिति और भी गंभीर हो गई है। आईसीसी अब प्रतियोगिताएँ बिना स्पर्धा निदेशक (Tournament Director) के आयोजित कर रहा है। देर से कार्यक्रम घोषित करना, टिकट वितरण में भ्रम, खराब पिचें, और अव्यवस्थित यात्रा योजनाएँ अब सामान्य हो चुकी हैं।

श्रीलंका में आयोजित महिला विश्व कप वर्षा ऋतु में कराया गया, जिससे कई मैच रद्द हुए — यह आईसीसी की योजना-निर्माण की गंभीर चूक दर्शाता है। संगठन में जवाबदेही का अभाव स्पष्ट है।

तीन विश्व कप का सफल आयोजन कर चुके स्टीव एलवर्थी को 2019 विश्व कप के लिए स्पर्धा निदेशक नियुक्त किया गया था, लेकिन 2023 के बाद से कोई प्रभावी समिति या आयोजन प्राधिकरण नहीं है। बीसीसीआई के बढ़ते प्रभाव के चलते अधिकांश ज़िम्मेदारियाँ मेज़बान देशों पर डाल दी जाती हैं, जिसके कारण स्टेडियम की गुणवत्ता, टिकट व्यवस्था, आवास और यातायात सुविधाएँ प्रभावित होती हैं।

जहाँ फीफा और ओलंपिक जैसी संस्थाएँ सख्त प्रोटोकॉल और पेशेवर मानकों के साथ आयोजन करती हैं, वहीं आईसीसी का ध्यान केवल राजस्व कमाने पर केंद्रित प्रतीत होता है।

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