राजनीति

बिहार चुनाव में किंगमेकर बनने की तैयारी! पिता रामविलास की तरह सत्ता की चाबी अपने हाथ में रखना चाहते हैं चिराग पासवान



Bihar Assembly Elections 2025: क्या चिराग पासवान अप

ने पिता रामविलास पासवान की तरह बिहार की राजनीति में किंगमेकर बनने की राह पर हैं? भोजपुर में दिए गए उनके भाषण से संकेत मिलता है कि वे बिहार की सत्ता में सीधी एंट्री चाहते हैं।

 

पटनाः तो क्या लोजपा (आर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष Chirag Paswan किंग मेकर बनने की राह पर चल पड़े हैं! या फिर ठीक अपने पिता की तरह सत्ता की चाबी अपने हाथ रखना चाहते हैं। भोजपुर की सभा में चिराग पासवान ने जो तेवर दिखाए उससे साफ झलकता है कि चिराग पासवान बिहार की सत्ता में डायरेक्ट एंट्री चाहते हैं। आइए जानते है दलित नेता स्व रामविलास पासवान ने वर्ष 2005 में कौन सा गेम खेला था।

वर्ष 2005 लोजपा का स्वर्णिम काल

वर्ष 2005 ऐसा साल था जब एक वर्ष में बिहार में दो Vidhansabha chunav हुए। इस चुनाव ने 1990 से बिहार की सत्ता पर काबिज लालू यादव को पाटलिपुत्र से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। और लालू को सत्ता से बाहर करने में अहम भूमिका स्व. रामविलास पासवान की रही। यह वो समय था जब रामविलास पासवान ने मुस्लिम मुख्यमंत्री का दांव चल कर लालू को चुप कर दिया।

 

 

 

 

रामविलास पासवान बनेंगे किंगमेकर

तब हुआ यह था कि फरवरी 2005 के विधानसभा इलेक्शन में रामविलास पासवान की पार्टी 178 सीटों पर चुनाव लड़ी। लालू यादव की पार्टी 210 सीटों पर चुनाव लड़ी। कांग्रेस ने 84 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। 27 फरवरी 2005 को इस चुनाव के नतीजे आए। चुनाव परिणाम ने सबको चौंका दिया। 15 साल से बिहार की सत्ता की धुरी रही आरजेडी बिहार की सत्ता से बाहर हो गई। आरजेडी को 2005 के इस चुनाव में 75 सीटें हासिल हुई। 84 सीटों पर लड़ने वाली कांग्रेस 10 सीटें जीती और लालू को चुनौती देने वाले पासवान 29 सीट जीतकर किंगमेकर बने। फरवरी 2005 में सरकार बनाने को लेकर किसी के पास फॉर्मूला नहीं था। रामविलास पासवान के 29 विधायक के बिना सरकार बनना असंभव था। और ऐसे में मुस्लिम सीएम की मांग कर रामविलास पासवान ने लालू प्रसाद यादव के सामने एक चुनौती रख दी। लेकिन लालू प्रसाद यादव मुस्लिम मुख्यमंत्री देने से अच्छा चुनाव में जाना समझा।

क्या इतिहास दोहराना चाहते हैं चिराग

भोजपुर में दिए गए चिराग पासवान के बयान ने इतना तो साफ कर दिया कि चिराग न केवल किंग की लड़ाई लड़ेंगे बल्कि किंग मेकर के स्थिति को पाने की युद्ध भी लड़ेंगे। राजनीतिक सूत्रों की माने तो चिराग पासवान अकेले दम चुनाव लड़कर 29 से ज्यादा सीटें जितना चाहते हैं। दरअसल चिराग पासवान के हौसले लोकसभा चुनाव 2024 में 100 फीसदी जीतने के बाद बुलंद हैं। और इस आधार पर बिहार में चिराग एकला चलो की राह पर चल पड़े है।

चिराग का विस्फोटक बयान

भोजपुर में लोजपा (आर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने एक ऐसा विस्फोटक बयान दिया, जिसके बाद एनडीए की एकजुटता पर सवालिया निशान लग गए। चिराग पासवान ने कहा- ‘मैं बिहार के लिए चुनाव लड़ूंगा और 243 सीटों पर लड़ूंगा। लेकिन मैं किस सीट से चुनाव लड़ूंगा, इसका फैसला जनता पर छोड़ा है। मैं बिहार के लिए लड़ूंगा। यह चुनाव सिर्फ सत्ता का नहीं, सम्मान और विकास का है।

आलोचना और तारीफ का सिरा खुला रखा

एक कुशल राजनीतिज्ञ का परिचय देते चिराग पासवान ने महागठबंधन की आलोचना की, साथ ही भाजपा और जदयू की तारीफ भी की। कहा कि बिहार के विकास में कांग्रेस और आरजेडी बाधक बनी। कांग्रेस और आरजेडी ने मिलकर कर्पूरी ठाकुर की सरकार गिराई। 80 के दशक से लेकर लालू यादव के शासनकाल तक नरसंहारों का लंबा दौर चला. ये वो दौर था जिसे ‘जंगलराज’ कहा गया, जिसकी ज़िम्मेदारी कांग्रेस और आरजेडी दोनों पर बराबर है। पर बीजेपी-नीतीश गठबंधन को सामाजिक न्याय व विकास का वास्तविक वाहक बताया।

चिराग ने अपनी मार्केटिंग भी की

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने भोजपुर की जनसभा में अपनी मार्केटिंग भी की। यहां वे पासवान के नेता के रूप में नहीं बल्कि दलित और पिछड़ों की राजनीति करने से भी नहीं चुके। उन्होंने कहा- ‘कर्पूरी ठाकुर और बाबा साहेब अंबेडकर को सिर्फ़ नारों में जपने वाले उन्हें सच में नहीं मानते। बाबा साहेब की पहली प्रतिमा मेरे पिता रामविलास पासवान ने वी.पी. सिंह की सरकार में लगवाई थी। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का काम भी एनडीए की सरकार ने किया। ये काम न तो कांग्रेस ने किया और न ही आरजेडी ने ‘मैंने बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ की नीति शुरू की लेकिन इन ताक़तों ने मेरी पार्टी तोड़ी, मेरे परिवार को तोडा।’

 



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