हरियाणा के फतेहाबाद के दो युवक यूक्रेन में फंसे | फतेहाबाद न्यूज़ | फतेहाबाद के दो युवक यूक्रेन में फंसे हुए हैं

हरियाणा के फतेहाबाद जिले के दो युवक रशियन आर्मी में नौकरी के लालच में यूक्रेन में फंस गए हैं। अब उन्होंने सोमवार शाम को परिवार को वॉट्सऐप कॉल कर वहां से निकालने की गुहार लगाई है। परिवार का कहना है कि 15 लोगों के बैच में उनके साथ यूपी, पंजाब, जम्मू कश
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अब यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में भेजने के लिए मजबूर किया जा रहा है। मंगलवार को परिवार CM नायब सिंह सैनी से भी मिला। CM ने मामले को विदेश मंत्रालय में भिजवाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही परिवार को आश्वासन दिया कि सरकार पूरी मदद करेगी। इसके बाद बुधवार को परिवार डीसी डॉ. विवेक भारती से भी मिलने पहुंचा। राज्यसभा सांसद रामचंद्र जांगड़ा, पूर्व सांसद सुनीता दुग्गल से भी मदद की गुहार लगाई है।
अंकित और विजय के साथ मदद की गुहार लगाते पंजाब और जम्मू के साथी।
स्टडी वीजा पर गए थे दोनों युवक
गांव कुम्हारिया निवासी अंकित जांगड़ा (23) और विजय पूनिया (25) दोनों स्टडी वीजा पर रूस गए थे। दोनों मास्को शहर में रुके हुए थे। अंकित फरवरी 2025 में गया था। जबकि विजय जुलाई 2024 में ही चला गया था। इसके बाद विजय मार्च में गांव वापस लौट आया और जुलाई में दोबारा रूस चला गया। फरीदाबाद के एक एजेंट के माध्यम से दोनों रूस गए थे।
यूक्रेन में रूस से 300 किलोमीटर दूर ले गए
अंकित के भाई रघुवीर ने बताया कि सोमवार को अंकित की कॉल आई थी। उसके साथ तब विजय भी था। अंकित ने उधर से कहा, हमें बचा लों, हमारे पास एक- दो दिन ही बचे हैं। इसके बाद हमें युद्ध में भेज दिया जाएगा। रघुवीर के अनुसार, अंकित का कहना है कि उन्हें अभी यूक्रेन में रूस सीमा से 300 किलोमीटर दूर सोलीडेव के जंगल में रखा हुआ है।
12 वीं के बाद गया अंकित
रघुवीर ने बताया कि अंकित 12 वीं की पढ़ाई पूरी करके 14 फरवरी 2025 को स्टडी वीजा पर रूस गया था। इसमें फरीदाबाद की एजेंट ने उनकी मदद की थी। अंकित ने मॉस्को के एमएसएलयू कॉलेज में लेंग्वेज कोर्स में दाखिला लिया था। अंकित के पिता रामप्रसाद ने बताया कि अंकित ने पढ़ाई के दौरान फ्री टाइम में उन्होंने किसी रेस्टोरेंट में हेल्पर का काम शुरू किया, ताकि अपना खर्चा निकाल सकें।
दोबारा बिजनेस वीजा से गया विजय
विजय पुनिया जुलाई 2024 में स्टडी वीजा पर गया था। वीजा एक्सटेंड नहीं हुआ तो एक महीने बाद वापस आ गया था। फिर अक्टूबर 2024 में दोबारा गया। छह महीने रहकर मार्च के आखिर में वापस गांव लौट आया था। इसके बाद 15 जुलाई 2025 को विजय एक साल का बिजनेस वीजा लगवाकर रशिया गया। परिवार का कहना है कि लोन लेकर उसे विदेश भेजा है।
रूस में महिला ने लालच देकर फंसाया
रघुवीर ने बताया कि एक महिला ने अंकित व विजय के साथ अन्य 13 लोगों को रशियन आर्मी में नौकरी दिलाने की लालच दिया था। 15 लोगों का एक बैच बनाया गया। महिला ने कहा था कि 15 दिन की ट्रेनिंग के बाद उन्हें 20-20 लाख रुपए भी दिए जाएंगे। इसके बाद प्रत्येक को डेढ़ से 2 लाख रुपए महीने की नौकरी भी दी जाएगी। इसके बाद महिला उन्हें वेल्याबिंस्क शहर ले गई। वहां रशियन भाषा में कुछ डॉक्यूमेंट पर साइन करवा लिए।
सर पर कमांडों तैनात
रामप्रसाद ने बताया कि इसके बाद उनके बेटे व उसके साथियों को जंगल में ले जाकर छोड़ दिया गया है। उनके ऊपर कमांडर तैनात हैं। अगर कोई वहां से जाने की बात करता हैं तो उन्हें जान से मारने की धमकी देते हैं। उनके साथ रह रहे 5 लोगों की मौत हो चुकी है।
महिला को कॉल की तो बोली-वो तो मर गए गांव के ही एक युवक ने मंगलवार को जाॅब दिलाने वाली को वॉट्सऐप पर कॉल की। महिला ने कहा कि अंकित और विजय तो मर गए हैं। उनकी मौत को चार-पांच दिन ही हो चुकी हैं। जबकि सोमवार को ही परिवार की अंकित से बात हुई थी। इसके बाद महिला ने नंबर ब्लॉक कर दिया।