Surguja: अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के जेल वार्ड से दो कैदी फरार, मचा हड़कंप, सुरक्षा व्यवस्था पर उठ रहे सवाल

सरगुजा : अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज के जेल वार्ड से दो कैदी फरार, मचा हड़कंप — सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
यह घटना जेल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है। पिछले पखवाड़े के भीतर बंदियों के फरार होने की यह दूसरी घटना है। इससे पूर्व 4 अक्तूबर की रात बिलासपुर जिले के मस्तूरी थाना क्षेत्र के ग्राम मल्हार निवासी मुकेश कांत भी अंबिकापुर जेल से स्थानांतरित किए जाने के बाद बिलासपुर जेल से भाग निकला था।
छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के अंबिकापुर में दीपावली की रात एक बड़ी सुरक्षा चूक सामने आई है। अंबिकापुर केंद्रीय कारागार से दो विचाराधीन कैदी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के जेल वार्ड से फरार हो गए। यह 15 दिनों के भीतर दूसरी बार है जब जेल से कैदियों के भागने की घटना हुई है, जिससे जेल प्रशासन और पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया है। कैदियों के फरार होने की सूचना मंगलवार प्रातः जेल अधिकारियों एवं सरगुजा पुलिस को दी गई। सूचना मिलते ही पुलिस विभाग सक्रिय हो गया और दोनों कैदियों की तलाश में व्यापक अभियान प्रारंभ किया गया।
केंद्रीय जेल में बंद दोनों कैदी — रितेश सारथी (ग्राम अंधला, लखनपुर) और पवन पाटिल (ग्राम जमड़ी, भैयाथान, सूरजपुर) — अस्वस्थ होने के कारण मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती थे। दीपावली की रात लगभग तीन बजे, दोनों कैदियों ने जेल वार्ड में तैनात सुरक्षा प्रहरियों को चकमा देकर चुपके से वार्ड से निकलकर फरार हो गए। सुरक्षा कर्मियों को इस घटना की भनक तक नहीं लगी। फरार कैदियों में रितेश सारथी एक विचाराधीन बंदी है, जिसे पॉक्सो अधिनियम के अंतर्गत गिरफ्तार किया गया था, जबकि पवन पाटिल एनडीपीएस अधिनियम का आरोपी है, जिसे सूरजपुर जेल से अंबिकापुर स्थानांतरित किया गया था।
केंद्रीय जेल के अधीक्षक अक्षय राजपूत ने दोनों कैदियों के फरार होने की पुष्टि करते हुए बताया कि इस संबंध में पुलिस को अवगत करा दिया गया है।
सुरक्षा व्यवस्था पर उठते प्रश्न
यह घटना जेल की सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर करती है। मात्र पंद्रह दिनों में दो बार बंदियों के फरार होने से जेल प्रशासन की लापरवाही स्पष्ट होती है। इससे पूर्व 4 अक्तूबर की रात बिलासपुर जिले के मस्तूरी थाना क्षेत्र के ग्राम मल्हार निवासी मुकेश कांत, जिसे हत्या के आरोप में सजा सुनाई गई थी, अंबिकापुर जेल से स्थानांतरित किए जाने के बाद बिलासपुर जेल से भाग निकला था। हालांकि, उसने दो दिन बाद बिलासपुर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था।
जेल में वसूली के आरोप और कर्मचारियों की बर्खास्तगी
हाल ही में अंबिकापुर केंद्रीय जेल में वसूली और प्रताड़ना के गंभीर आरोप भी सामने आए थे। बंदी मुकेश कांत की पत्नी अमेरिका बाई कुर्रे ने कलेक्टर से शिकायत की थी कि जेल के कुछ अधिकारी एवं कर्मचारी उसके पति से धनराशि की मांग कर रहे थे और पैसे न देने पर उसे जातिगत गालियां देते हुए मानसिक तथा शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे। इन गंभीर आरोपों के बाद जेल प्रबंधन ने कार्रवाई करते हुए अंबिकापुर केंद्रीय जेल के तीन कर्मचारियों को जेल मुख्यालय रायपुर द्वारा बर्खास्त कर दिया था।
फिलहाल, फरार कैदियों की तलाश जारी है और पुलिस प्रशासन इस मामले में किसी प्रकार की ढिलाई बरतने के मूड में नहीं है। यह घटना एक बार पुनः जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली एवं सुरक्षा तंत्र की कमजोरियों को उजागर करती है।